इन्दौर। शहर ही नहीं प्रदेश और देश के प्राचीनतम मंदिरों (Oldest Temples) में से एक गोपाल मंदिर (Gopal Mandir) का निर्माण सन-1832 में महाराजा यशवंतराव होलकर (Maharaja Yashwantrao Holkar) की पत्नी महारानी कृष्णाबाई होलकर (Maharani Krishnabai Holkar) ने मात्र 80 हजार रुपए में करवाया था। इस साल यह मंदिर 190 साल का हो गया।
गोपाल मंदिर राजबाड़ा ( Rajbara) के दाहिनी तरफ सवा एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। महारानी कृष्णाबाई परम कृष्ण भक्त थी। यह मंदिर उन्हीं की भावनाओं अनुसार होलकर काल में बनवाया गया। मंदिर में राधाकृष्ण (Radhakrishna) की मूर्तियों के अलावा भगवान वरुण, वराह अवतार और पद्मावती देवी की मूर्तियां भी स्थापित हंै। मंदिर का मुख्य आकर्षण इसकी आकर्षक वास्तुकला है। गोपाल मंदिर (Temple) एक संगमरमर सर्पिल ( Marble) की संरचना है, जो प्राचीन मराठा शैली (Maratha Style) की वास्तुकला में बनवाया गया है। इसमें एक बड़ा केन्द्रीय हाल है, जिसमें अस्तर की छत वाले विशाल खम्बे बने हुए हैं। सभी स्तम्भ को डिजाइन किया गया है। विशाल कांच ( Giant Glass) के झूमर जब जल उठते हैं तो गोपाल मंदिर की वास्तुकला प्रणाली सभी की आंखों को चकाचौैंध कर देती है। मंदिर में भगवान कृष्ण ( Lord Krishna) की प्रतिमा गर्भगृह में विराजित है, जो चांदी से निर्मित दरवाजों के साथ संगमरमर की आकर्षक वेदी पर विराजित की गई है।
राजस्थान, सहारनपुर के कारीगर कर रहे हैं गोपाल मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य
ऐतिहासिक गोपाल मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। जीर्णोद्धार कार्य अभी जारी है, जो 30 फीसदी के आसपास कार्य शेष है। जल्द ही यह पूरा होने की उम्मीद है। पिछले दो वर्ष के लम्बे लाकडाउन के कारण मंदिर जीर्णोद्धार कार्य पर असर पडा था। बाहर से आए कारीगर अपने घरों की ओर लौट गए थे। मंदिर का जीर्णोद्धार 20 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से किया जा रहा है। इसमें मंदिर की सफाई, लकड़ी कार्य, कारिडोर का निर्माण किया जा रहा है। प्राचीन धरोहर का जीर्णोद्धार काम करने वाली कंट्रक्शन कम्पनी को उक्त कार्य निर्माण सौंपा गया है।
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