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    अमीरी-गरीबी की खाई अब भी बेहद चौड़ी, गांवों के मुकाबले 10 गुना तक ज्यादा खर्च खरते हैं शहरी

  • July 15, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi)। शहरीकरण बढ़ने (Increase Urbanization) के बावजूद गांव और शहर (Village and city) के बीच का अंतर खत्म होने ना नाम नहीं ले रहा है। यदि प्रति व्यक्ति मासिक खर्च (Monthly expenses per person) को आधार बनाया जाए तो यह है कि शहर और गांव के बीच अमीरी-गरीबी की खाई (Gap between Rich and Poor) अब भी बेहद चौड़ी है। आंकड़े बताते हैं कि गांव और शहर में सबसे निचले पायदान के लोग खाने-पीने पर जितना खर्च करते हैं, शीर्ष पर मौजूद लोग उसका सात से दस गुना तक ज्यादा खर्च करते हैं।


    सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, गांवों में प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय 3,773 और शहरों में 6,459 रुपये है। यह व्यय गांव के मुकाबले शहरों में 71 फीसदी ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर यह तस्वीर उभरकर आती है। बता दें कि 2011-12 में हुए इसी तरह के सर्वेक्षण के दौरान गांव-शहर के बीच उपभोक्ता का अंतर 84 फीसदी दर्ज किया गया था।

    इसमें थोड़ी कमी आई जरूर है, लेकिन 71 फीसदी का अंतर अभी भी बहुत बड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आय में अंतर होने की वजह से यह विसंगति मैदा हुई है। इससे यह भी पता चलता है कि निचले तबके चाहे वह शहर का हो या गांव का, उसकी आय में अपेक्षित इजाफा नहीं हो रहा है जिसके कारण उसके उपभोग का व्यय भी कम है।

    गांवों में निचले स्तर पर व्यय महज 13,73 रुपये
    रिपोर्ट में आंकड़ों का विश्लेषण करके यह भी बताया गया है कि किस प्रकार निचले पायदान और शीर्ष पायदान के लोगों के उपभोग व्यय में भारी अंतर है। उदाहरण के लिए गांवों में निचले पायदान के पांच फीसदी लोगों का प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय महज 1,373 रुपये है। यह राष्ट्रीय औसत का करीब एक तिहाई के बराबर ही है। जबकि गांवों में पांच फीसदी शीर्ष लोगों का मासिक उपभोग व्यय 10,501 रुपये है, जो पांच फीसदी निचले तबके की तुलना में 7.6 गुना ज्यादा है। राष्ट्रीय औसत का यह करीब ढाई गुना ज्यादा है।

    शहरों में यह फर्क 10 गुना से अधिक
    इसी प्रकार यदि शहरों की बात करें तो सबसे निचले पायदान के पांच फीसदी लोग महीने में उपभोग व्यय के रूप में 2001 रुपये ही खर्च कर पाते हैं, जो शहरों के व्यय के राष्ट्रीय औसत के 32 फीसदी के बराबर ही है, लेकिन शहरों में शीर्ष पांच फीसदी लोगों का उपभोक्ता व्यय 20,824 रुपये प्रतिमाह प्रति व्यक्ति है, जो निचले पायदान के पांच फीसदी लोगों के व्यय का 10.4 गुना ज्यादा है। राष्ट्रीय औसत व्यय का भी यह तीन गुना से ज्यादा व्यय है।

    राज्यों की स्थिति
    हालांकि, राज्यों में यह अंतर अलग-अलग है। जैसे केरल में यह अंतर सबसे कम महज 19 फीसदी है। वहां गांवों में उपभोग व्यय 5924 तथा शहर में 7078 है। यानी अंतर बहुत कम है। जबकि असम में सबसे ज्यादा 79, झारखंड में 78 तथा ओडिशा में 76 फीसदी है। असम में गांवों में प्रति माह उपभोग व्यय 3432 तथा शहरों में महज 6136 रुपये है। यह राष्ट्रीय औसत से भर कम है।

    व्यय में ये वस्तुएं शामिल
    मासिक उपभोग व्यय में खाने-पीने की वस्तुओं के अलावा यातायात, किराया, मनोरंजन, कपड़े, जूते आदि के व्यय को भी शामिल किया जाता है। रिपोर्ट में अगस्त 2022-जुलाई 2023 तक के व्यय के आंकड़े शामिल हैं।

    प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग (राष्ट्रीय स्तर पर)
    – गांवों में 3,773 रुपये
    – शहरों में 6,459 रुपये
    – 71 फीसदी से ज्यादा है यह आंकड़ों शहरों में गांवों के मुकाबले

    शहर एवं गांवों के बीच उपभोक्ता व्यय में अंतर

    राज्य                     शहर                 गांव             अंतर (प्रतिशत में)
    असम                    6136                 3432                  79
    झारखंड                 4931                  2763                  78
    ओडिशा                 5187                  2950                  76
    कर्नाटक                 7666                  4397                  74
    तेलंगाना                 8158                  4802                  70
    उत्तर प्रदेश             5040                  3191                  58
    तमिलनाडु               7630                  5310                  44
    बिहार                     4768                  3384                  41
    राजस्थान               5913                  4263                  39
    पंजारब                    6544                  5315                  23
    केरल                       7078                  5924                  19

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