उज्जैन। शहर में इस समय कोरोना पॉजिटिव (corona positive) आए 99 प्रतिशत मरीज होम आयसोलेट हैं। कुछ जिनके घर छोटे हैं, वे पीटीएस में आयसोलेट (isolate) है वहीं गंभीर मरीज शा.माधवनगर में। होम आयसोलेट (isolate) मरीजों की देखभाल ओर स्वास्थ्य की पूछताछ का काम रैपिड रिस्पांस टीम के पास है। इस बीच एक बार फिर होम आयसोलेट मरीजों के चेस्ट के सिटी स्केन का खेल शुरू हो गया है। गत वर्ष इसीप्रकार का खेल चला था और सैकड़ों सिटी स्केन बे-वजह करवाए गए थे। जिसका कमीशन बंदरबांट की तरह कुछ जिम्मेदारों की जेब में गया था। बाद में हिंदुस्थान समाचार ने इसका खुलासा किया था ओर कलेक्टर ने सख्ती की थी। एक बार फिर नागरिक क्षेत्रों से मांग उठ रही है कि उज्जैन कलेक्टर सख्ती करे, ताकि इस बार यह खेल शुरूआत में ही रोका जा सके।
पहले बात करें दूसरी लहर की
गत वर्ष आई कोरोना की दूसरी लहर की बात की जाए तो हालात यह थे कि शहर के प्रायवेट सीटी स्कैन करने वाले जांच केंद्रों पर सुबह से रात तक चेस्ट का सिटी स्केन करवाने वालों की कतार लगी हुई थी। होम आयसोलेट मरीजों को भी सिटी स्केन के लिए प्रायवेट जांच केद्रों पर भेजा गया था और 5 हजार रूपये प्रति सिटी स्केन वसूले गए थे। उस समय रैपिड रिस्पांस टीम पर भी अंगुली उठी थी। यह आरोप थे कि यदि होम आयसोलेट व्यक्ति किसी जांच केंद्र पर सीटी स्कैन करवाने जाता है तो मान लिया जाए कि आरआरटी ने ही भिजवाया है। उसका कमिशन कथित तोर पर कतिपय जिम्मेदार के खाते में ही भेजने के अघोषित संकेत भी संबंधितों को थे। मामला हिंदुस्थान समाचार ने प्रमुखता से उठाया था तो कलेक्टर ने न केवल सिटी स्केन के रेट तय किए बल्कि यह भी तय किया था कि किनका सिटी स्केन हो,किनका नहीं। अब एक बार फिर यही स्थिति उभरने लगी है ओर गेंद एक बार फिर कलेक्टर के पाले में है। नागरिक क्षेत्र इंतजार कर रहा है कि कलेक्टर क्या एक्शन लेते हैं?
यह है ताजा स्थिति….सभी कुछ चल रहा गुपचुप
शहर के ताजा हालात यह है कि आयसोलेट मरीजों में सर्दी-जुकाम के लक्षण तीव्र हैं। ठण्ड अधिक होने के चलते अस्थमा के मरीजों की संख्या भी अधिक है। इस स्थिति का लाभ कतिपय लोग उठा रहे हैं ओर सिटी स्केन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यदि 10 दिन में प्रायवेट जांच केंद्रों पर कितनी जांचें हुई, इसका रिकार्ड खंगाला जाए तो भी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, यह भी दावा है सूत्रों का।
सूत्र बताते हैं कि इन स्थितियों पर अभी लगाम नहीं कसी गई तो हालात आनेवाले दिनों में हालात ओर बिकड़ेंगे। इसलिए भी क्योंकि एक बार फिर कतिपय मेडिकल स्टोर्स के फोन भी आयसोलेट मरीजों को आ रहे हैं कि कोई भी दवाई या उपकरण चाहिए तो हमें बताएं। यह तब हो रहा है, जबकि कोरोना मरीजों की डिटेल मीडिया तक से दूर रखी जा रही है। ऐसे में प्रश्न यह है कि मरीजों के मोबाइल नम्बर कतिपय मेडिकल स्टोर संचालकों के पास कैसे पहुंच रहे हैं?
जरूरत नहीं है,पैसे उछल रहे हों तो करवा लो
इस संबंध में चर्चा करने पर सीएमएचओ डॉ.संजय शर्मा ने कहा- अभी जो मरीज आयसोलेट हैं, उन्हे सीटी स्कैन करवाने की जरूरत नहीं है। शा.माधवनगर में जो भर्ती है, उनके जरूर करवाए जा रहे हैं। होम आयसोलेट लोगों के पास यदि पैसे अधिक उछल रहे हों तो सीटी स्कैन करवाएं। हम उपचार दे रहे हैं, वही काफी है। हमारी टीम को आवश्यकता होगी तो पहले हमसे पूछेगी, उसके बाद शा.माधवनगर भेजेगी। वहां डॉक्टर तय करेंगे कि सीटी स्कैन कराना है या नहीं?
कलेक्टर ने ही कहा था कि सिटी स्केन करवाओ
इस संबंध में चर्चा करने पर रैपिड रिस्पासं टीम के नोडल अधिकारी डॉ.रौनक एलची ने कहाकि आपका कहना गलत है। गत वर्ष कलेक्टर ने रोक नहीं लगाई थी बल्कि कहा था कि यदि होम आयसोलेट को सिटी स्केन की जरूरत है तो करवाओ। इसलिए करवाए गए थे। उन्होने दावा किया कि इस बार जरूरत नहीं पड़ रही है,इसलिए अभी नहीं करवा रहे हैं।
यह कहना है प्रायवेट लेब संचालकों का
इस संबंध में शहर की दो प्रायवेट लेब संचालकों से चर्चा की गई तो उन्होने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कहा: हमारे पास यदि कोई सीटी स्कैन करवाने आता है तो हम क्यों रोंके? हमने तो नहीं बुलवाया उसे। जो आता है तो उससे डॉक्टर का नाम और पर्चा मांगा जाता है। यदि प्रायवेट डॉक्टर ने भेजा है तो उनका नाम लिखते हैं। होम आयसोलेट है,तो वैसी जानकारी लिखते हैं। उन्होने हामी भरी कि हमारे पास कतिपय मरीज सिटी स्केन करवाने आ रहे हैं,जोकि होम आयसोलेट हैं।
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