नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court.) मंगलवार को दो मामलों में अपना फैसला सुनाएगा. पहला मामला- क्या निजी संपत्ति संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) (Private property under Article 39 (B) of the Constitution) के तहत समुदाय के भौतिक संसाधन (Material resources of the community) की परिभाषा के अंतर्गत आएगी. और दूसरा मामला- उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 (Uttar Pradesh Madrasa Education Board Act 2004) को रद्द करने पर रोक लगाने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस साल 1 मई को निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए, टिप्पणी की कि किसी व्यक्ति के प्रत्येक निजी संसाधन को समुदाय के भौतिक संसाधन के हिस्से के रूप में रखना दूर की कौड़ी होगी।
इस मामले में संविधान पीठ ने एक उदाहरण देते हुए सवाल किया था, ‘क्या भारत के बाहर के सेमीकंडक्टर चिप निर्माता को देश में एक कंपनी स्थापित करने के लिए कहा जाए, लेकिन बाद में उससे कहा जाए कि यह समुदाय का एक भौतिक संसाधन है और इसे छीन लिया जाएगा तो फिर देश में निवेश कौन करेगा?’ सुप्रीम कोर्ट में दो दशक से भी अधिक समय से यह मामला लंबित था, जिस पर आज फैसला आएगा।
सीजीआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने 22 अक्टूबर को यूपी मदरसा मामले में भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को रद्द करने के फैसले को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, और कहा था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसका मानना है कि कानून संवैधानिक है. अधिनियम को पूरी तरह से रद्द करने की आवश्यकता नहीं है और केवल आपत्तिजनक प्रावधानों की जांच की जानी चाहिए. सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘धार्मिक शिक्षा वाले संस्थानों में मानकों को सुनिश्चित करने में राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका है. आप इसकी ऐसी व्याख्या करें. लेकिन पूरे अधिनियम को रद्द करना वैसा ही है, जैसे किसी टब में नही रहे बच्चे को पानी के साथ बाहर फेंकना।
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