img-fluid

स्पोर्ट्स के क्षेत्र में भारत के युवाओं का भविष्य

August 19, 2021

– रंजना मिश्रा

भारत में माता-पिता अपने बच्चों को मैथ्स और साइंस पढ़ाना चाहते हैं। डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस अफसर बनाना चाहते हैं पर स्पोर्ट्स में भेजने से कतराते हैं। हम अपने देश के लिए मेडल्स तो चाहते हैं पर अपने बच्चों को संघर्ष की भट्ठी में तपाना नहीं चाहते क्योंकि इसमें रिस्क बहुत है। लोगों को हमारे देश के स्पोर्टिंग कल्चर में विश्वास ही नहीं है। सच पूछिए तो हमारे देश में स्पोर्टिंग कल्चर है ही नहीं। हम खेलों वाला देश बन ही नहीं पाए हैं अबतक।

हमारे देश ने अबतक के 29 ओलंपिक गेम्स में केवल 35 मेडल जीते हैं। यह संख्या भी गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज़ तीनों को मिलाकर है। इनमें सात मेडल भारत ने इसबार जीते हैं, जबकि अमेरिका ने इसबार के खेलों में ही अकेले 39 गोल्ड मेडल जीते हैं और कुल मिलाकर 113 मेडल्स के साथ इसबार की मेडल टैली में पहले नंबर पर है। चीन दूसरे नंबर पर रहा, उसने 88 मेडल जीते, जिनमें 38 गोल्ड मेडल हैं यानी अमेरिका से केवल एक गोल्ड मेडल कम और जापान तीसरे स्थान पर है जिसने 58 मेडल जीते हैं। जापान की कुल आबादी साढ़े बारह करोड़ है यानी उत्तर प्रदेश की आबादी से आधी आबादी है, लेकिन एक छोटा देश होते हुए भी ओलंपिक खेलों में उसका प्रदर्शन कई बड़े-बड़े देशों से अच्छा है, इसकी सबसे बड़ी वजह है वहां का स्पोर्टिंग कल्चर।

हमारे देश में युवाओं को स्पोर्ट्स के क्षेत्र में भी अपने कदम आगे बढ़ाने होंगे और सफलताओं के शीर्ष को छूने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ेगा, तभी हम सात नहीं बल्कि कम से कम 70 मेडल अपने देश में लाने में कामयाब हो पाएंगे। टोक्यो ओलंपिक में हमारे खिलाड़ियों का जैसा प्रदर्शन रहा उससे यह उम्मीद तो लगाई जा सकती है कि आगे हम और अधिक अच्छा प्रदर्शन करने और मेडल्स जीतने में कामयाब रहेंगे। हमारे युवाओं को स्पोर्ट्स क्षेत्र में अधिक से अधिक संख्या में आना चाहिए और कठिन संघर्ष करके, कड़ी मेहनत करके उन्हें अपने परफार्मेंस को बेहतर बनाना चाहिए।

टोक्यो ओलंपिक्स भारत के लिए हमेशा बहुत खास रहेगा क्योंकि भारत ने पहली बार एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीता है और यह सपना नीरज चोपड़ा ने पूरा किया। आज नीरज चोपड़ा की चर्चा पूरे देश में जोर-शोर से है। नीरज चोपड़ा ने आज जो काम किया है इससे पहले कोई और नहीं कर पाया। वह भारत के नए पोस्टर ब्वॉय बन गए हैं। नीरज चोपड़ा ने इसके लिए कई त्याग भी किए, उन्हें लंबे बालों का शौक था लेकिन खेलने में दिक्कत आने पर उन्होंने उन्हें कटवा दिया, ओलंपिक में आने से पहले वे 1 साल तक सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर रहे, ताकि वो अपने खेल पर पूरा ध्यान लगा सकें। ओलंपिक खेलों के पिछले 121 वर्षों के इतिहास में भारत ने इस बार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर नया इतिहास रच दिया है।

इसबार भारत ने एक गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज़ मेडल जीते हैं। टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत के 127 खिलाड़ियों में से 55 खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने क्वार्टर फाइनल और उसके बाद के मुकाबलों में प्रवेश किया, इनमें से अकेले 43 खिलाड़ी ऐसे थे जो सेमीफाइनल तक पहुंचे, इनमें पुरुष और महिला हॉकी टीम भी शामिल हैं, इसके अलावा पांच खिलाड़ी व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल के लिए फाइनल मुकाबलों में पहुंचे यानी कई बार तो ऐसा लगा कि हम गोल्ड और सिल्वर मेडल को छूकर वापस आ गए। कहा जा सकता है कि कुल 33 खेलों में से 5 खेलों में भारत को गोल्ड मेडल मिल सकता था, यह एक गोल्ड मेडल भी 13 वर्षों के बाद आया है। अगर भारत के खिलाड़ी इन सभी फाइनल मुकाबलों में जीत जाते तो भारत ओलंपिक खेलों की मेडल टैली में 48 वें नंबर के स्थान पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सत्रहवें स्थान पर होता। पर अभी तो यह कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है।

हालांकि फाइनल मुकाबलों में भारत की एंट्री इस बात का संकेत है कि आने वाले ओलंपिक खेलों में हमें और ज्यादा मेडल मिल सकते हैं। 2016 के रियो ओलंपिक में भारत ने अपने 117 खिलाड़ी भेजे थे, जिनमें केवल 20 खिलाड़ी ही क्वार्टर फाइनल या उसके बाद के मुकाबलों में पहुंच पाए लेकिन अबकी बार यह संख्या 20 से सीधे 55 हो गई यानी दुगुने से भी अधिक। इसबार भारत ने 33 खेलों में से 18 खेलों में हिस्सा लिया और 41 वर्षों के बाद भारत मेडल जीतने वाले टॉप 50 देशों में शामिल है।

हालांकि 135 करोड़ लोगों के इस देश में क्या केवल 7 मेडल्स से संतोष किया जा सकता है ? हम जनसंख्या के मामले में चीन के बाद पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं लेकिन मेडल के मामले में 48 वें नंबर पर। हमें इस गैप को भरना ही होगा और अपने युवाओं को इसके लिए तैयार करना होगा। इसके लिए माता-पिता से लेकर स्कूल-कॉलेजों और बड़े स्तर तक तैयारी करनी होगी। सरकार को पूरा सपोर्ट करना होगा, खेलों और खिलाड़ियों पर सरकार को पूरा ध्यान देना होगा और अपना बजट इसके लिए बड़ा करना होगा तभी हमारे देश में खेलों की स्थिति सुधर सकती है।

इसबार भले ही हमने 2016 के रियो ओलंपिक्स की तुलना में 5 मेडल ज्यादा जीते हैं लेकिन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन काफी ऊपर-नीचे होता रहा है। 2012 के लंदन ओलंपिक में भारत ने 6 मेडल जीते थे और 2008 के बीजिंग ओलंपिक्स में हमें तीन मेडल्स मिले थे लेकिन यह प्रदर्शन बाद में बरकरार नहीं रह पाए। हमारे देश को इस से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है और अधिक तैयारी करने की जरूरत है। युवाओं में खेलों की रुचि को बढ़ाना होगा, पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें खेलों पर भी ध्यान देना होगा और कैरियर के रूप में वह स्पोर्ट्स के क्षेत्र को अधिक से अधिक चुनें, इसके लिए उनमें जागरूकता पैदा करनी होगी तभी हमारे देश के युवा पढ़ाई और तकनीक के साथ-साथ खेलों में भी अपना परचम लहरा पाएंगे।

सरकार को कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि लोग यह न डरें कि यदि उनके बच्चे स्पोर्ट्स के क्षेत्र में कैरियर न बना पाए तो कहीं के नहीं रह जाएंगे। युवाओं को माता-पिता, शिक्षकों और सरकारी व्यवस्थाओं के द्वारा प्रोत्साहन व खेलों के लिए जरूरी सुख-सुविधाएं मिलने की बहुत आवश्यकता है, तभी हम खेलों के क्षेत्र में चीन, जापान और अमेरिका जैसे देशों के करीब पहुंच पाएंगे।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Share:

दिल्‍ली : एचओडी ने भरी सभा में महिला प्रोफेसर को मारा थप्पड़, जानिए क्‍या है मामला ?

Thu Aug 19 , 2021
नई दिल्ली । देश की राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के लक्ष्मीबाई कॉलेज (Lakshmibai College) से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है. दरअसल हिंदी डिपार्टमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर नीलम ने अपनी ही एक सहयोगी प्रोफेसर और विभाग की अध्यक्ष डॉक्टर रंजीत कौर पर थप्पड़ (Associate Professor Slap Case) जड़ने का […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved