भोपाल। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व(बीटीआर) में बाघों की संख्या बढऩे से बाघों के बीच आपसी संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसके दृष्टिगत यहां के कुछ बाघों की दूसरे टाइगर रिजर्व में शिफ्टिंग की जानी है। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बता दें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1632 वर्ग किमी में फैला हुआ है। वर्ष 2018 की बाघ गणना में यहां 124 बाघ मिले थे। यह संख्या वर्तमान में 140 के करीब हो गई है। इससे बाघों के बीच टेरीटरी को लेकर संघर्ष होने लगा है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर एक बाघ बीस वर्ग किलो मीटर में अपना रहवास या टेरीटरी कायम करता है। इस क्षेत्र में दूसरे बाघ के आने पर उनके बीच खूनी संघर्ष हो जाता है।
आपसी संघर्ष में मारे गए 25 बाघ
बाघों की संख्या बढऩे से ढाई साल में बाघों के बीच संघर्ष की घटनाओं में आठ गुना वृद्धि दर्ज की गई है। टाइगर रिजर्व प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार इन ढाई वर्षों में आपसी संघर्ष में 25 बाघों की मौत हो चुकी है। जबकि इसी अवधि में तीन बाघों के शिकार की घटना भी सामने आई।
पहले भी हुई है शिफ्टिंग
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघों की शिफ्टिंग पहले भी हो चुकी है। न सिर्फ मध्य प्रदेश के कई टाइगर रिजर्व में बांधवगढ़ के बाघ हैं बल्कि ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में भी बांधवगढ़ से एक बाघिन भेजी गई थी। सतकोसिया का आपरेशन फेल होने के कारण यह बाघिन वर्तमान में कान्हा टाइगर रिजर्व में है। मध्य प्रदेश के सतपुड़ा, पन्न, पेंच, संजय धुबरी टाइगर रिजर्व, नौरादेही अभयारण्य के अलावा वन विहार भोपाल, मुकुंदपुर सतना में भी बांधवगढ़ से बाघ भेजे जा चुके हैं।
वंशवृद्धि के लिए भी शिफ्टिंग जरूरी
सेवानिवृत्त सीसीएफ एवं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक का मानना है कि दो अलग रक्त समूह के टाइगर जब मिलते हैं तो वे वंश वृद्धि में अहम भूमिका निभाते हैं। अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ संतान उत्पन्ना करते हैं। वे पन्नाा टाइगर रिजर्व का उदाहरण देते हैं जहां कान्हा और बांधवगढ़ से बाघों की शिफ्टिग के बाद उनके कुनबा तेजी से बढ़ा।
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