भोपाल। अध्यापक से शिक्षक बने 50 हजार कर्मचारियों की क्रमोन्नति की फाइल (File) पिछले ढाई साल से मंत्रालय और लोक शिक्षण संचालनालय (Ministry and Directorate of Public Instruction) के बीच घूम रही है। सामान्य प्रशासन, स्कूल शिक्षा सचिवालय और वित्त विभाग (General Administration, School Education Secretariat and Finance Department) के अधिकारी मिलकर भी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस श्रेणी के शिक्षक को क्रमोन्नति कौन देगा। 20 जून 2019 को कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों ने इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय से मार्गदर्शन मांगा था। तब उन्हें कहा गया था कि शासन स्तर से नवीन शैक्षणिक संवर्ग की सेवा शर्तें जारी होने के बाद क्रमोन्नति के प्रकरणों का निराकरण किया जाएगा।
अधिकारियों ने आदेश किए, तो हो गई वसूली
प्रदेश में ऐसे भी मामले सामने आए हैं। जिनमें नई व्यवस्था के तहत अधिकारियों ने कुछ शिक्षकों के क्रमोन्नति के आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसे प्रकरणों में सरकारी धन का दुरुपयोग मानते हुए वसूली के आदेश दिए गए हैं। जिनमें लाभ ले चुके शिक्षकों के वेतन से राशि वसूली जा रही है।
क्रमोन्नति या समयमान, फिर होगा झमेला
प्रदेश में समयमान देने की व्यवस्था भी लागू है। यदि विभाग क्रमोन्नति देता है, तो उसे सेवा अवधि की गणना 12 साल के मान से करना होगी और समयमान देता है तो 10 साल से। यदि सरकार ने समयमान देने का निर्णय लिया, तो विभाग को पूर्व नियोक्ताओं से ही आदेश करना होंगे।
ऐसे घूम रही नोटशीट
लोक शिक्षण संचालनालय ने 12 मार्च 2021 को जावक क्रमांक 1386 से इन कर्मचारियों की क्रमोन्नति एवं समयमान का प्रस्ताव शासन को भेजा। यह नोटशीट 13 अगस्त 2021 को प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा के कार्यालय से आयुक्त लोक शिक्षण को भेजा गया। आयुक्त लोक शिक्षण ने 23 अगस्त को नोटशीट प्रमुख सचिव को लौटा दी, जो उनके कार्यालय में 26 अगस्त 2021 को पहुंची। फिर से वित्त विभाग को भेजी गई।
इनका कहना है
अपने अधिकार के लिए शिक्षकों को परेशान होना पड़ रहा है। मैं मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री, विभाग की प्रमुख सचिव से निवेदन कर चुका हूं। फिर भी देरी हो रही है। ऐसे ही कारणों से कर्मचारी सरकार के खिलाफ लामबंद होते हैं।
भरत पटेल, अध्यक्ष, आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ मप
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