बेंगलुरु । डी.के. शिवकुमार (D.K. Shivkumar) ने कहा कि कर्नाटक को सूखा राहत का उचित हिस्सा दिलाने के लिए (To ensure Karnataka gets its fair share of Drought Relief) लड़ाई जारी रहेगी (The Fight will Continue) । कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा कि पार्टी केंद्र सरकार द्वारा सूखा राहत राशि के नाम पर काफी कम पैसा जारी करने पर विरोध-प्रदर्शन करेगी।
शिवकुमार ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रविवार को विधान सौध के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। शिवकुमार ने कहा, “राज्य को सूखा राहत का उचित हिस्सा दिलाने के लिए लड़ाई जारी रहेगी… कानूनी लड़ाई निश्चित रूप से जारी रहेगी। हम भीख नहीं मांग रहे हैं। यह हमारा अधिकार है, जो हम मांग रहे हैं। इसे जारी करना केंद्र की जिम्मेदारी है। इसके लिए लोगों और राज्य के समक्ष संघर्ष जारी रहेगा।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य को 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।उन्होंने कहा, “मांगा गया मुआवजा लगभग 18 हजार करोड़ रुपये था। हमने नुकसान की केवल 50 प्रतिशत राशि मांगी थी। अब जो जारी किया गया है वह किसी भी तरह से पर्याप्त नहीं होगा।”शिवकुमार ने पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के बयान की भी निंदा की जिन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने सूखा राहत के लिए पर्याप्त धनराशि जारी की है।
उन्होंने कहा, “3,454 करोड़ रुपये का राहत पैकेज अभी तक राज्य में नहीं पहुंचा है और भाजपा नेता जश्न मना रहे हैं। कुमारस्वामी राज्य के विश्वासघाती बन गए हैं… वह यह नहीं कह सकते कि जारी किया गया पैसा पर्याप्त है। यह उनकी संपत्ति के बारे में नहीं है।”राज्य सरकार ने 13 सितंबर 2023 को 223 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किया था।सूखे के कारण राज्य भर में लाखों एकड़ भूमि पर फसल के नुकसान की भी खबर है।एक अनुमान के मुताबिक, राज्य को 35 हजार करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ और एनडीआरएफ दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य ने राहत के रूप में 18,172 करोड़ रुपये की मांग की थी ।
इस बीच, सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से “सूखा राहत जारी करने पर राजनीति करना बंद करने” का आग्रह करते हुए, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, “सूखे का राजनीतिकरण बंद करें।”उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार धन प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का पालन करने में विफल रही है और इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने में समय बर्बाद किया है।
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