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    महिलाओं को इस दोष से मुक्ति दिलाता है ऋषि पंचमी का व्रत, आप भी जरूर पढ़े ये कथा

  • September 11, 2021

    हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदी पंचांग के अनुसार ऋषि पंचमी का व्रत हर साल भादो के शुक्ल पक्ष(Darker fortnight) की पंचमी तिथि को रखा जाता है। इस साल ऋषि पंचमी आज यानी 11 सितंबर को रखा गया है। इस पावन दिन पर सप्त ऋर्षियों का विधि-विधान से पूजन –वंदन किया जाता है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋर्षियों का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना की पूर्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।

    ऋषि पंचमी व्रत में करें इनकी पूजा
    ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) के दिन सप्त ऋषियों की पूजा करने की परंपरा है। सप्त ऋषि का आशय 7 ऋषियों से है। इन सात ऋषियों के नाम इस प्रकार हैं-ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ। हिंदू धर्म में इन सात ऋषियों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।

    व्रत कथा
    विदर्भ देश में एक सदाचारी ब्राह्मण की पत्नी सुशीला (sushila) बड़ी पतिव्रता थी। उस ब्राह्मण के एक पुत्र और एक पुत्री थी। सदाचारी ब्राह्मण ने बेटी का विवाह किया परंतु कुछ समय के बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।

    एक दिन वह विधवा कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। मां ने इस बात को अपने पति से बताते हुए इसका कारण पूंछा। तब ब्राह्मण ने समाधि के द्वारा जानकारी कर बताया कि पूर्व जन्म में यह कन्या ब्राह्मणी थी। मासिक के दौरान इसने बर्तन को छू लिया था। इस जन्म में भी इसने ऋषि पंचमी का व्रत नहीं रखा।


    धर्म-शास्त्रों के अनुसार रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी(chandalini), दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करने के पश्चात शुद्ध होती है। यदि यह ऋषि पंचमी का व्रत रखकर शुद्ध मन से पूजा अर्चना करे तो इसके सारे दुःख दूर हो जायेंगे। विधवा कन्या (widow girl) ने ऐसा ही किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।

    नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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