img-fluid

कथा के बिना अधूरा रह जाएगा करवा चौथ का व्रत, जानें इस कथा का महत्‍व

October 22, 2021

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का व्रत रखा जाता है। इस बार करवाचौथ 24 अक्टूबर, रविवार (Karwa Chauth 24 October) के दिन मनाई जाएगी। करवा चौथ उत्तर भारतीय स्त्रियों के लिए एक बेहद ही ख़ास त्योहार है। इस दिन सूर्योदय के बाद से महिलाएं पति की सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। दिनभर भूखी-प्यासी रह कर शाम के समय कथा पढ़ती-सुनती हैं और रात के समय गणेश जी, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके बाद चंद्रोदय (Moon Rise) के बाद चांद के दर्शन करके पूजन करती हैं और चांद को अर्घ्य देकर पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं। ऐसे में मान्यता है कि करवाचौथ के दिन कथा (Karwa chauth Katha) पढ़ने-सुनना शुभ फलदायी होता है।

क्या है इस व्रत का महत्त्व
सब लोग ये तो जानते हैं कि इस व्रत को पत्नियां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं लेकिन क्या आप इसके महत्त्व के बारे में जानते हैं। मान्यताओं के मुताबिक और छांदोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन के सभी तरह के कष्टों का निवारण तो होता ही है साथ ही लंबी उम्र भी प्राप्त होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

व्रत के बारे में महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा (mythology) के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। अर्जुन की पत्नी द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तभी उनके सखा श्रीकृष्ण उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करने के बारे में बताते हैं, जिससे अर्जुन के सभी कष्ट दूर होगें। श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी करवाचौथ का व्रत रखती हैं जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है। यह व्रत यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

करवाचौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Katha)



पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रप्रस्थपुर में एक ब्राह्मण रहता था, उसके साथ पुत्र और एक वीरावती नाम की पुत्री थी। इकलौती पुत्री होने के कारण वे सभी की लाडली थी. ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह एक ब्राह्मण युवक से कर दिया था. शादी के बाद वीरावती पहली करवाचौथ पर मायके आई हुई थी. उसने पति की लंबी उम्र के लिए मायके में ही व्रत रख लिया. वीरावती भूख-प्यास बर्दाश्त नहीं कर सकी और मूर्छित होकर गिर गई. भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई.

बहन की हालत देख भाइयों ने उसका व्रत खुलवाने की सोची. उन्होंने एक दीपक जलाकर पेड़ के पीछे छलनी में रख दिया. और बहन को बोला की चांद निकल आया है. वीरावती ने छत पर जाकर चंद्र दर्शन किए और पूजा पाठ करने के बाद नीचे आकर खाना खाने बैठ गई। वीरावती के भोजन शुरू करते ही पहले कौर में बाल आया, दूसरे में छींक आ गई और तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल से निमंत्रण आ गया। ससुराल का निमंत्रण पाते ही वीरावती भागी-भागी वहां पहुंची। वहां जाते ही उसने देखा कि उसका पति मृत है। पति को इस हालत में देख वो व्याकुल होकर रोने लगी।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

Share:

60 साल बाद धनतेरस पर शनि और गुरु की युति में पुष्य नक्षत्र

Fri Oct 22 , 2021
खरीदारी का महामुहूर्त इंदौर। दीपावली (Diwali) से पहले धनतेरस (Dhanteras) के त्योहार (Festivals) पर खरीदारी की पुरानी परंपरा है। इस साल दीपावली (Diwali) और धनतेरस (Dhanteras) से पहले खरीदारी के कई खास योग बनने जा रहे हैं। दीपावली (Diwali) से पहले खरीदारी के लिए महामुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र (Mahamuhurta Guru Pushya Nakshatra) 60 साल बाद […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved