45 वर्ष की उम्र और लाखों पाठकों का बचपन सा दुलार… युवाओं सी जिम्मेदारी का अहसास और बुजुर्गों-सी गंभीरता की उम्मीद… यह दौलत कमाई अग्निबाण ने अपने जन्मदाता प्राणपुरुष स्व. नरेशचंद्रजी चेलावत की आस, विश्वास और प्रयास से जन्म लिए अग्निबाण ने …जिसके हर शब्द में… हर खबर में… हर विचार में पाठकों के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धा, कर्मठता, लगन के साथ ही निष्पक्षता, निर्भीकता का प्रगतिशील सृजन है और उसका ही परिणाम है कि अग्निबाण आज पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला हिंदी सांध्य दैनिक बना हुआ है… 45 वर्ष पूर्व सिमटे-से शहर की चहारदीवारियों में किलकारियां मारता अग्निबाण आज अपनी बुलंद आवाज में अहंकार को रौंदता भी है…लापरवाहों को कोसता भी है और शहर के बारे में सोचता भी है…हमने अच्छाई के लिए पुरस्कार और बुराइयों के तिरस्कार की सोच के साथ ही विकास की कल्पनाएं जेहन में संजोई… कभी शहर के विकास की सोच को समझा और परखा तो कभी उसके हिस्सेदार बने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की पीठ पर हाथ रखकर उनके हौसलों को गतिमान बनाया…हमने इंदौर को स्वच्छता का खिताब दिलाने में जी-जान लगाई तो सडक़ों के चौड़ीकरण के लिए उजड़े आशियानों के रहवासियों पर मरहम की गुहार लगाई…हमने निगम की योजनाओं में कांधे से कांधा मिलाया तो प्रशासन की हर मुहिम को मुकाम तक पहुंचाया…हमने हर दिन पाठकों के प्यार और विश्वास की उस पूंजी को श्रद्धा से सिर पर लगाया, जिसका पाठ हमें अपनी धरोहर के मालिक अग्निबाण के प्राणपुरुष स्वर्गीय नरेशचंद्रजी चेलावत ने पढ़ाया…वक्त के इस सफर पर एक बार फिर उनका स्मरण करते हुए निर्भीकता, निष्पक्षता और कर्मठता का वादा अपने पाठकों और स्नेहियों से करते हैं…
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved