भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि महाकाल लोक का लोकार्पण समाज को एक दिशा में ले जाने का अद्भुत समारोह होगा। इससे जन-जन को जोडऩे के लिए पूरे प्रदेश में मिल कर प्रयास करने हैं। जिलों में भी उत्साह का वातावरण बना कर नागरिकों को कार्यक्रम के सीधे प्रसारण से जोड़ कर प्रत्यक्षदर्शी बनाने के प्रयास किए जाएँ। लोकार्पण दिवस के संध्या काल में श्री महाकाल लोक परिसर के शिवार्पण के समय हर घर में दीप जलाए जाएँ। प्रत्येक नागरिक को सहभागिता के लिए प्रेरित किया जाए। चौहान 11 अक्टूबर को उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने वाले लोकार्पण के संबंध में निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा उज्जैन जिला प्रशासन और अन्य जिलों के कलेक्टर्स और जन-प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अद्भुत कार्यक्रम की तैयारियों के लिए परिश्रम के साथ प्रयास करने के निर्देश भी दिए। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उपस्थित थे। जिलों से मंत्रीगण और कलेक्टर्स वर्चुअल शामिल हुए। चौहान ने सभी को महाअष्टमी की बधाई देते हुए कहा कि श्री महाकाल लोक के लोकार्पण से सम्पूर्ण प्रदेशवासियों को वर्चुअली जोडऩे की व्यवस्था की जा रही है। जिलों के प्रमुख मंदिरों में टी.वी. स्क्रीन से आमजन को इस कार्यक्रम को देखने का अवसर मिलेगा। यह मध्यप्रदेश ही नहीं, संपूर्ण देशवासियों के लिए आस्था और सामाजिक एकता से जुड़ा महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
प्रसारण देखने के लिए वातावरण बनाएँ
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकार्पण समारोह की आवश्यक तैयारियाँ की जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर की शाम 6 बजे महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे। यह कार्यक्रम पूरे प्रदेश में मनाया जाना है। इसके लिए जिलों में ऐसा वातावरण बनाया जाएँ, जिससे अधिक से अधिक लोग कार्यक्रम देख सकें। ग्राम के किसी एक मंदिर में सभी ग्रामवासी एकत्र होकर समारोह के सहभागी बनेंगे। शहरी क्षेत्र में वार्डों में भी प्रमुख मंदिरों में कार्यक्रम प्रसारण की व्यवस्था करने को कहा गया है।
निमाड़ और मालवा से ज्यादा लोग पहुंचें
मुख्यमंत्री ने कहा कि निमाड़ और मालवा अंचल से शिवार्पण कार्यक्रम में सीधे भागीदारी कर सकते हैं। इंदौर और उज्जैन संभाग के प्रत्येक जिले के विभिन्न समाज, धर्मों के गणमान्य नागरिकों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। जनजातीय समाज को भी इससे जोड़ा जाए। विभिन्न समाज और संस्थाओं के अध्यक्ष, पंचायत प्रतिनिधि, पार्षद, जनजातीय समाज के तड़वी, पटेल, पुजारी, पुजारा आदि को आमंत्रित किया जाए। उज्जैन पहुँचने वाले नागरिक अपने ग्राम, नगर से जल लाकर उज्जैन के रूद्र सागर में समर्पित कर सकते हैं। रूद्र सागर का पुनरूद्धार किया गया है और यह विकसित परिसर का प्रमुख आस्था केन्द्र है।
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