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देश का इंजन टेक्नोलॉजी की पटरी पर ही हो सकता है विकसित: डॉ. रेड्डी

October 01, 2021

इंदौर। देश के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सचिव डॉ. जी. सतीश रेड्डी (Dr. G. Satheesh Reddy) ने कहा कि वे देशभर में आयोजित हो रही कार्यशाला में जाते हैं, लेकिन उन्होंने पहली बार इंदौर शहर की कार्यशाला में एक साथ 600 उद्यमियों को देखा है, जो यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश में उद्योग क्षेत्र के विकास में कितनी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि अब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को बोल सकते हैं कि देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है और मध्य प्रदेश का इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

डीआरडीओ सचिव डॉ. रेड्डी शुक्रवार को इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा की अध्यक्षता में रक्षा उत्पाद, रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा क्षेत्र में एमएसएमई के लिए उद्यमिता के अवसर विषय पर कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।



इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी, सचिव एवं उद्योग आयुक्त पी. नरहरि, मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम, भोपाल के प्रबंध संचालक व्ही गढ़पाले सहित अन्य विभागीय अधिकारी, निवेशक एवं एमएसएमई से संबंधित उद्यमी उपस्थित रहे।

डीआरडीओ सचिव डॉ. रेड्डी ने कहा कि मध्यप्रदेश की इंडस्ट्रीज को डीआरडीओ लैब्स से जोड़ने के लिए ग्वालियर स्थित डीआरडीओ लैब के डायरेक्टर के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया जाएगा, जो मध्य प्रदेश इंडस्ट्री एसोसिएशन के साथ मिलकर जरूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, अनुसंधान तथा अन्य तरह की सहायता उद्यमियों को प्रदान कर पाएगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत रक्षा क्षेत्र में इंडस्ट्रीज को कई गुना अधिक बढ़ावा मिला है। इन इंडस्ट्रीज के माध्यम से हम वर्तमान में रक्षा क्षेत्र में आयात किए जा रहे 40 प्रतिशत कम्पोनेंट को कम करके स्वदेशी कम्पोनेंट के विकास पर कार्य कर रहे हैं। इसके लिए डीआरडीओ द्वारा 108 आइटम की एक सूची तैयार की गई है जो स्वदेशी इंडस्ट्रीज डेवलप कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि 2020 में जब कोरोना महामारी का प्रकोप देश पर पड़ा था तब डीआरडीओ ने 2 दिन में सैनिटाइजर का प्रोटोटाइप तैयार करके इंडस्ट्रीज को ट्रांसफर किया था। इसी तरह मास्क और पीपीई किट की डिजाइन भी 500 इंडस्ट्रीज को भेजी गई थी। इंडस्ट्रीज द्वारा कोरोना रोकथाम हेतु तैयार किए गए सभी उत्पादों को ग्वालियर डीआरडीओ लैब में ही टेस्ट किया गया था। उन्होंने बताया कि ग्वालियर डीआरडीओ में ही कोरोना महामारी से बचाव के लिए “2 डीजी ऑक्सी डी ग्लूकोस” तैयार की गई थी।

डॉ. रेड्डी ने बताया कि पहले इंडस्ट्रीज को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के लिए शुल्क चार्ज किया जाता था लेकिन अब अगर इंडस्ट्री रक्षा क्षेत्र में कार्य कर रही हैं तो उन्हें निशुल्क टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की जाती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में इंडस्ट्री को “डेवलपमेंट कम प्रोडक्शन पार्टनर” बनाया गया है जहां इंडस्ट्री अनुसंधान के समय से ही डीआरडीओ के साथ उत्पाद के प्रोडक्शन में कार्य करती है।

कार्यशाला में डीआरडीओ द्वारा विकसित तकनीकों पर आधारित उत्पादों के विकास एवं नवीन व्यवसाय के अवसर हेतु स्थानीय एमएसएमई ईकाईयों के सहयोग एवं तकनीक के स्थानांतरण आदि विषयों पर चर्चा की गई ।

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