हवाना। क्यूबा(Cuba) में राउल कास्त्रो (Raul Castro)के सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख का पद छोड़ने के बाद क्यूबा में एक बिल्कुल नए युग की शुरुआत(The beginning of a completely new era in Cuba) हो रही है। बीते 62 वर्षों में अब ये पहला मौका है, जब क्यूबा(Cuba) में सर्वोच्च पद पर कोई कास्त्रो नहीं होगा। अब राष्ट्रपति मिगुएल दियाज-कानेल(President Miguel Diaz-Kanell) कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव (Communist Party General Secretary) होंगे। दियाज-कानेल (Diaz-Kanell)2018 में देश के राष्ट्रपति बने थे। उसके पहले राउल कास्त्रो 12 साल तक राष्ट्रपति और महासचिव दोनों पदों पर रहे थे।
क्यूबा में 1959 में हुई क्रांति के बाद से देश पर कास्त्रो बंधुओं का वर्चस्व रहा। फिदेल और राउल कास्त्रो क्रांति के सेनानी थे। क्रांति के बाद सर्वोच्च पद फिदेल कास्त्रो ने संभाला था। उन्होंने 2006 में राउल कास्त्रो को राष्ट्रपति पद सौंपा। 89 वर्षीय राउल कास्त्रो अब शनिवार से शुरू हो रही कम्युनिस्ट पार्टी की चार दिवसीय कांग्रेस (अधिवेशन) में महासचिव के रूप में आखिरी बार उपस्थित होंगे। पेरिस स्थित इंस्टीट्यूट फॉर लर्निंग ऑन लैटिन अमेरिका में क्यूबा के विशेषज्ञ स्तीफान वितकोवस्की ने एक इंटरव्यू में कहा- ‘राउल कास्त्रो के राजनीतिक जीवन से विदा लेने का मतलब मतलब है कि अब 1959 में क्रांति में शामिल रहे लोगों के हाथ से सत्ता का हस्तांतरण एक नई पीढ़ी के हाथ में हो रहा है।’ नए महासचिव और राष्ट्रपति दिनाज-कानेल 61 साल के हैं। राष्ट्रपति बनने के पहले देश में उच्च शिक्षा मंत्री थे। विशेषज्ञों का कहना है कि सत्ता हस्तांतरण की योजना बहुत बारीकी से बनाई गई है। पहले कास्त्रो ने दिनाज-कानेल को राष्ट्रपति पद सौंपा। इस पद पर उन्हें अनुभव हासिल करने के लिए तीन साल का वक्त दिया गया। अब एकदलीय शासन प्रणाली वाले देश में वे सरकार और पार्टी दोनों के सर्वोच्च पद प्राप्त कर रहे हैं। क्यूबा के संविधान के मुताबिक कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव ही देश का सर्वोच्च राजनीतिक पद है। वितकोवस्की ने कहा- ‘यह असल में सर्वोच्च सत्ता है, जो हर पांच साल पर होने वाली पार्टी कांग्रेस के दौरान देश की राजनीतिक दिशा को परिभाषित करता है।’ विश्लेषकों के मुताबिक सत्ता हस्तांतरण को इस ढंग से नियोजित किया गया है, जिससे प्रशासन में निरंतरता बनी रहे। बीते तीन साल देश में आर्थिक सुधारों की अवधि रही है। इस दौरान देश ने दोहरी मुद्रा व्यवस्था को समाप्त किया। साथ ही वेतन, पेंशन और उपभोक्ता मूल्य के क्षेत्रों में नए सुधार लागू किए गए। अब देश में इस बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि राउल कास्त्रो की आगे क्या भूमिका होगी। कुछ वर्ष पहले रिटायरमेंट के बाद की उनकी योजना के बारे में पूछे जाने पर राउल कास्त्रो ने कहा था कि वे अपना समय अपने पोते-पोतियों के साथ बिताएंगे और किताबें पढ़ेंगे। लेकिन जानकारों का कहना है कि वे पूरी तरह राजनीति से दूर हो जाएंगे, इसे मानना मुश्किल है। वैसे उनके सामने अपने बड़े भाई फिदेल कास्त्रो की मिसाल है। 2006 में रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी भूमिका तटस्थ सलाहकार की बना ली थी। क्यूबा इस समय गहरे आर्थिक संकट में है। कोरोना महामारी के कारण पर्यटन उद्योग का भट्ठा बैठ गया है, जो क्यूबा की अर्थव्यवस्था की एक तरह से रीढ़ है। इसके अलावा अमेरिकी प्रतिबंधों ने क्यूबा के आम आवाम की जिंदगी मुश्किल बना रखी है। पिछले साल क्यूबा की अर्थव्यवस्था में 11 फीसदी की गिरावट आई थी। साथ ही देश में जरूरी चीजों की सप्लाई की कमी है। इस कारण दुकानों के बाहर लोगों की लंबी कतार लगी रहती है। दियाज-कानेल के सामने सबसे पहली बड़ी चुनौती इस हाल से देश को बाहर निकालने की होगी। ये आम राय है कि इसमें वे कितने सफल रहते हैं, उससे ही क्यूबा में कम्युनिस्ट पार्टी का भविष्य तय होगा। क्यूबा अपनी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मशहूर है। कोरोना महामारी को भी उसने बेहतर ढंग से संभाला है। एक करोड़ 12 लाख की आबादी वाले इस देश में कोरोना संक्रमण के कारण सिर्फ 476 मौतें हुई हैँ। क्यूबा के स्वास्थ्यकर्मियों ने कई देशों में जाकर महामारी संभालने में मदद की है। वितकोवस्की ने कहा- ‘राउल कास्त्रो की शख्सियत का प्रभाव देश की पूरी आबादी पर था। अब क्यूबा की राजनीति एक दौर में जा रही है। अब यह नई पीढ़ी पर निर्भर है कि वह कैसे उनकी मशाल को थामे आगे बढ़ती, ताकि वह अपनी वैधता साबित कर सके।’