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शिक्षा विभाग चलाने वाले कर्मचारी खुद परीक्षा में नाकाम, किसी को 35 तो किसी को 42 अंक मिले

August 30, 2022

तोहफे में मिले पदों पर 10-10 सालों से जमे थे
कोर्ट में मूंछे तरेरी… परीक्षा में बैठने की अनुमति ली और परिणाम में ढक्कन निकले
इंदौर। शिक्षा विभाग (Education Department) में प्रतिनियुक्ति के आधार पर तोहफे (Gifts)  में मिले जिन पदों पर बिना योग्यता (Without Qualification) के पिछले 10 सालों से जमे थे उन पदों की परीक्षा (Examination) का जब वक्त आया तो वे 35 और 42 प्रतिशत अंक ही हासिल कर पाए। अब राज्य शिक्षा केंद्र ( State Education Center) के प्रदेश में पदस्थ बीआरसी (BRC) व एपीसी (APC) के पदों पर बैठे मूल विभाग में वापस जाना होगा।


इंदौर जिले (Indore District) में निजी स्कूलों (Private Schools) की मान्यता (Recognition) के बड़े-बड़े खेल करने वाले बीआरसी, एपीसी के पदों पर जमे अधिकारी व कर्मचारियों (Employees) के लिए राज्य शासन ने आदेश जारी किया था कि 4 से अधिक सालों से प्रतिनियुक्ति पर जमे सभी कर्मचारियों को हटाकर परीक्षा आयोजित की जाए और जो लोग इन परीक्षाओं में सफल हों, उन्हें ही पद सौंपा जाए, लेकिन इंदौर में 9 सालों से पदस्थ राजेंद्र तंवर और राजू भावसार ने कोर्ट में याचिका दाखिल की कि वे लंबे समय से इस पद पर काबिज हैं और उनमें इस पद को संभालने की योग्यता है। उन्हें भी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए। इस पर कोर्ट ने प्रतिनियुक्ति पर काबिज ऐसे कर्मचारियों को भी परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी, लेकिन याचिका दाखिल करने वाले दोनों ही कर्मचारी परीक्षा में 90 नबरों में से सिर्फ 35 और 42 नंबर ही ला पाए। परीक्षा में मामूली अंक लाने वाले इनमें से एक कर्मचारी राजेंद्र तंवर इंदौर में तो दूसरा राजू भावसार सांवेर में वर्ष 2013 से पदस्थ हैं। इसके अलावा महू में संजय नेल्सन 2007 से, देपालपुर में श्रवण शर्मा वर्ष 2013 से इंदौर में, मनोहर धीमान 2007 से इंदौर ग्रामीण में, अशोक जोशी 2010 से बिना योग्यता के ही पदस्थ है।


25 कर्मचारियों ने दी थी परीक्षा
शासन द्वारा जारी निर्देश के बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने नए सिरे से प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त करने के लिए परीक्षा आयोजित की, जिसमें 25 कर्मचारियों ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक उत्कृष्ट विद्यालय में लिखित परीक्षा दी। पात्र अभ्यर्थियों की सूची जिला शिक्षा केंद्र के सूचना पटल पर जारी की गई थी। उसके बाद आयोजित परीक्षा की मेरिट सूची भी सूचना पटल पर लगा दी गई है, जिसमें 10-10 साल से जमे सहायक परियोजना समन्वयकों का नाम मेरिट सूची में ही नही आया है। शिक्षा विभाग द्वारा 6 बीआरसी व 4 एपीसी पदों की भर्ती मेरिट के आधार पर की जायेगी।


कलेक्टर को भी अंगूठा दिखाया… तबादला किया तो जोर लगाकर फिर उसी पद पर आ बैठा
निजी स्कूलों की एसोसिएशन ने मान्यता में भ्रष्टाचार को लेकर फरवरी और मार्च में सांसद शंकर लालवानी के माध्यम से प्रशासन के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके बाद कलेक्टर ने डीपीसी राठौर को इनके कार्य क्षेत्र बदलने के निर्देश दिए थे, लेकिन राजेन्द्र तंवर ऊपर से सेटिंग कर वापस आकर अपनी ही पोस्ट पर जम गए थे। इसके अलावा देपालपुर के बीआरसी श्रवण शर्मा को 2017-18 में विभागीय अनियमितता के चलते निलंबित किया गया था, लेकिन वे भी बहाल होने के बाद देपालपुर में ही पदस्थ हैं। दूसरी ओर बीआरसी मनोहर धीमान के खिलाफ स्कूलों में मान्यता में गड़बड़ी किए जाने के संबंध में लोकायुक्त तक शिकायत की गई है।

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