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    32 करोड़ की चपत के साथ एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट पहुंचा कूड़ेदान में

  • September 09, 2024

    • ठेका निरस्त करने पर लोक निर्माण विभाग को देना पड़ेगी हर्जाना राशि, एलआईजी, पलासिया, व्हाइट चर्च, जीपीओ, नवलखा पर बन सकेंगे फ्लायओवर

    इंदौर (Indore)। आखिरकार बीते कई सालों से फाइलों और बहसों में चल रहा एबी रोड का एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट कूड़ेदान में पहुंच ही गया। 306 करोड़ का टेंडर तीन साल पहले लोक निर्माण विभाग ने इस कॉरिडोर के लिए मंजूर किया था और कुछ दिनों पूर्व पाइल टेस्टिंग भी मौके पर शुरू करवा दी थी। मगर बाद में काम रोक दिया, जिसका खुलासा भी अग्रिबाण ने ही किया था। अब मुख्यमंत्री ने कल इस एलिवेटेड कॉरिडोर की जगह आधा दर्जन फ्लायओवर बनाने के निर्देश दिए हैं। लगभग 32 करोड़ रुपए की चपत इस प्रोजेक्ट मेंपड़ेगी, क्योंकि ठेकेदार फर्म को ये हर्जाना राशि चुकाना पड़ेगी। आधा दर्जन नए ओवरब्रिज एलआईजी, पलासिया, व्हाइट चर्च, जीपीओ और नवलखा चौराहा पर बनाए जा सकते हैं।

    पता नहीं किस मुहूत्र्त में प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस एलिवेटेड कॉरिडोर को दिल्ली जाकर मंजूर करवाया था। तत्कालीन मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर 350 करोड़ रुपए की राशि मंजूर करवाई थी। उसके बाद फिर ड्राइंग-डिजाइन पर माथापच्ची हुई और लोक निर्माण विभाग ने टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली, लेकिन एलिवेटेड कॉरिडोर का काम ही शुरू नहीं हो सका। कुछ माह पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस कॉरिडोर को लेकर बैठक बुलाई थी और उसमें लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार और मंजूर की गई डिजाइन के मुताबिक काम शुरू करने के निर्देश दिए। इतना ही नहीं, उसके पहले मुख्यमंत्री ने भी उसका वर्चुअली भूमि पूजन कर दिया था।


    मगर बाद में जब डिजाइन को लेकर कई महत्वपूर्ण त्रुटियां सामने आई और सर्वे से यह भी खुलासा हुआ कि मात्र 3 फीसदी ही यातायात को फायदा मिलेगा, जिसके चलते पहले कलेक्टर आशीष सिंह ने भी इस कॉरिडोर का काम रूकवा दिया था और सिर्फ पाइल टेस्टिंग ही हो सकी। वहीं कल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रभारी मंत्री के रूप में जो पहली समीक्षा बैठक की उसमें इस कॉरिडोर के प्रोजेक्ट को ही निरस्त करने के निर्देश दिए और उसकी जगह 6 ओवरब्रिज निर्मित करने का निर्णय लिया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि लोक निर्माण विभाग ने जब केन्द्र सरकार से 350 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई तब टेंडर के जरिए इस कॉरिडोर के निर्माण का निर्णय लिया और मार्च 2026 तक इसे पूरा करने का निर्णय भी ले लिया। मगर बीते सालों में इसकी ड्राइंग-डिजाइन और उपयोगिता को लेकर ही तमाम सवालउठते रहे।

    कम से कम आधा दर्जन बार जनप्रतिनिधियों-अधिकारियों की बैठकें भी हुईं। मगर ड्राइंग-डिजाइन तय नहीं हो सकी। यहां तक कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी इसी बीच सम्पन्न हो गए। उसके बाद जब कैलाश विजयवर्गीय नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री बने तब उन्होंने पिछले दिनों एलिवेटेड कॉरिडोर को ही बैठक बुलाई और उसमें लोक निर्माण विभाग द्वारा ही तैयार डिजाइन पर काम शुरू करवाने के निर्देश दिए। मगर सिर्फ पाइल टेस्टिंग तक ही काम हो सका। बाद में कलेक्टर ने न ए सिरे से स्टडी कराने का भी निर्णय लिया। वहीं कल मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में जब यह एलिवेटेड ब्रिज का मामला आया तो उनके सामने जब यह तथ्य प्रस्तुत हुआ कि इसकी उपयोगिता न्यूनतम है, तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट को रद्द करने और उसकी जगह 6 फ्लायओवर एबी रोड बीआरटीएस कॉरिडोर पर बनाने के निर्देश दिए। यह भी उल्लेखनीय है कि सेतु बंधन योजना के तहत निरंजनपुर और सत्यसांई चौराहा पर फ्लायओवर का काम शुरू भी हो गया है और अब जो आधा दर्जन नए फ्लायओवर बनना है उस पर निर्णय होगा, लेकिन लगभग 32 करोड़ की चपत अवश्य इस प्रोजेक्ट में पड़ेगी।

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