नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) की सख्त टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग(Election commission) ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। चुनाव आयोग(Election commission) ने एक याचिका दाखिल की है जिसमें मद्रास हाईकोर्ट(Madras High Court) की अपमानजनक टिप्पणी (Derogatory remarks) को हटाने की मांग की गई है। चुनाव आयोग(Election commission) ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट (High Court) खुद एक संवैधानिक एवं स्वतंत्र संस्था(Constitutional and independent institution) है जबकि चुनाव आयोग(Election commission) भी संवैधानिक संस्था (Constitutional institution) है, इसलिए हाईकोर्ट की इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी से हमारी छवि खराब हुई है। अब इस याचिका पर सोमवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी।
चुनाव नतीजों को लेकर जश्न, आतिशबाजी पर रोक
मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार तमिलनाडु में नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वे विधानसभा चुनावों के नतीजों की दो मई को घोषणा के बाद जश्न मनाने या पटाखे फोड़ने से परहेज करें। वहीं केरल उच्च न्यायालय ने भी राज्य में दो मई को होने वाली मतगणना को देखते हुए पुलिस और विभिन्न जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि एक मई से चार दिनों तक राज्य में कहीं लोगों की भीड़ न जुटे।
नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण रखना चाहिए : मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों को नियंत्रण में रखना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिल कुमार रामामूर्ति की प्रथम पीठ ने कहा कि महामारी की मौजूदा गंभीर स्थिति में जब तक कमी नहीं आती तब तक कोई जश्न, पटाखे फोड़ना या रैलियां नहीं होंगी।
उन्हें सक्रियता से कदम उठाकर दूसरे के लिए उदाहरण बनना चाहिए। अदालत ने दो मई को होने वाली मतगणना के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग और निर्वाचन आयोग द्वारा किये गए इंतजामों पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए यह बात कही।
जुलूस या परेड न निकाली जाए : केरल हाईकोर्ट
केरल उच्च न्यायालय ने मतगणना के बाद राजनीतिक दलों विजय जुलूस पर पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने पुलिस और जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया कि कोई सामाजिक या राजनीतिक आयोजन, सभा, किसी तरह की जुलूस या परेड न निकाली जाए।
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