नई दिल्ली। जहाँ हर देश कोरोना के लिए वैक्सीन बनाने के लिए जूता है वही रोज़ कोई न कोई शोद्ध के परिणाम सामने आरहे है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से उबर चुके मरीजों के शरीर में एंटीबॉडीज बहुत लंबे समय तक नहीं बनी रहती हैं। मुंबई के जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के स्टाफ पर हुए सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई है। यह तथ्य कोरोनाकी वैक्सीन तैयार करने और जनता को लगाने की रणनीति बनाने में निर्णायक साबित होगा।
एंटीबॉडीज और उसका महत्त्व
एंटीबॉडीज हमारे शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली के लिए अहम होता हैं। ये इम्यूनोग्लोब्युलिंस नाम का प्रोटीन होता हैं, जो शरीर में नुकसान पहुंचाने वाले तत्व एंटिजन कहलाते हैं। ये वायरस, बैक्टीरिया या हानिकारक केमिकल भी हो सकते हैं। एंटीबॉडीज हमारे शरीर में सैनिक की तरह काम करती हैं। एक बार जब शरीर किसी रोग से लड़कर सही होता है तो उस रोग के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडीज बन जाती हैं जो भविष्य में उसी तरह के इन्फेक्शन से शरीर की रक्षा करती हैं।
स्टडी में पता चला कि 801 हेल्थेकेयर वर्कर्स में 28 को आरटी-पीसीआर टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। लेकिन जून में हुए सीरो सर्वे के दौरान इनमें से किसी के भी शरीर में एंटीबॉडीज नहीं पाई गईं। हॉस्पिटल ने 34 और लोगों का सीरो सर्वे कराया। इन्हें तीन ओर पांच सप्ताह पहले पीसीआर टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। देखा गया कि इनमें क्रमश: 90 पर्सेंट और 38.5 पर्सेंट लोगों में एंटीबॉडीज थीं। मतलब समय के साथ एंटीबॉडीज खत्म होती गईं।’
केवल 50 दिन तक ही रहेगा कोरोना वैक्सीन का असर?
इस स्टडी में कि गयी रिसर्च के नतीजे सही है तो वैक्सीन देने के बाद उसका असर महज 50 दिन ही रहेगा। मतलब, टीका लगने के 50 दिनों के बाद एंटीबॉडीज खत्म हो जाएंगी और फिर से आप खतरे से घिर जाएंगे। लेकिन इस बात से कुछ जानकार सहमत नहीं। गिरिधर आर बाबू जो पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के महामारी विशेषज्ञ है उनका कहना है कि हमें नहीं पता कि जिन 28 रोगियों को कोरोना हुआ उनमें लक्षण उभरे थे कि नहीं। पश्चिम में हुए रिसर्च बताते हैं कि जो गंभीर कोरोना का शिकार होकर सही हुए ऐसे मरीजों में एंटीबॉडी तीन से चार महीनों तक देखी गईं।
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