- 15 से 20 फीसदी तक लॉकडाउन के बाद बढ़ गए सीमेंट, सरिए, रेती के दाम
इंदौर। कोरोना काल (Corona period) के बाद भले ही मेडिकल (Medical)को छोडक़र अन्य कारोबार (business) घाटे में रहे हों, मगर रियल इस्टेट ( real estate) को फायदा मिल रहा है। लगातार पंजीयन विभाग ( registration department) भी अच्छा-खासा राजस्व बटोर रहा है और कच्ची जमीनों (Property) के भाव भी आसमान छू रहे हैं। लिहाजा भूखंडों के साथ-साथ निर्माण भी महंगी हो गई है और घर का सपना भी अब निम्न और मध्मवर्गी परिवारों के लिए लगातार महंगा होता जा रहा है। सीमेंट, सरिए, रेती, गिट्टी से लेकर ठेकेदारी-मजदूरी की लागत भी बढ़ गई है।
बीते तीन-चार सालों से मंदी का शिकार रहा है, जिसकी शुरुआत नोटबंदी के बाद हो गई थी। इसके बाद आयकर के जटील प्रावधानों और फिर जीएसटी ने भी कारोबार को मुश्किल कर दिया। कोरोना के चलते जहां सभी तरह के काम-धंधे ठप रहे, लेकिन पिछले लॉकडाउन के बाद भी तेजी से रजिस्ट्रियां हुईं और जमीनों-भूखंडों के भाव बढऩे लगे। बहुमंजिला इमारतों में फ्लेटों की डिमांड कम है, मगर भूखंडों की डिमांड लगातार बढ़ती रही। अभी दूसरे लॉकडाउन के बाद भी रियल इस्टेट के कारोबार में तेजी बरकरार है। इंदौर के आसपास खेती की जमीनें काफी महंगी हो गई है। इसके साथ ही 15 से 20 फीसदी निर्माण सामग्री के दामों में भी इजाफा हो गया, जिसके चलते 1000-1200 रुपए तक आने वाली निर्माण लागत अब 1500 या उससे अधिक पहुंच गई है। रेती, गिट्टी, सिमेंट, सरिए के दाम तो लगातार बढ़ ही रहे हैं, वहीं ठेकेदारी और मजदूरी भी बढ़ गई है, क्योंकि लॉकडाउन के कारण कई मजदूर गांव भी लौट गए।