काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) में कब्जे के बाद से ही तालिबान (Taliban) अपनी छवि बदलने के लिए तमाम झूठे दावे कर रहा था लेकिन इनकी पोल जल्दी ही खुलनी शुरू हो गई है. तालिबान जैसा था वैसा ही है, उसका चाल, चरित्र और चेहरा कुछ भी नहीं बदला. आतंवादियों (terrorists) को सरकार (Goverment) में शामिल करने वाले तालिबान की क्रूरता एक बार फिर सामने आई है. तालिबान शासन के साथ ही अफगानिस्तान में सरेआम फांसी की सजा दी जाने लगी है.
बच्चे के किडनैप का था आरोप
तालिबान (Taliban) ने हेरात में एक शख्स को सबके सामने फांसी पर लटका दिया. इस शख्स पर एक बच्चे के किडनैप का आरोप था. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से जनता को फांसी दी जाने की ये दूसरी घटना है. इस क्रूर सजा से एक दिन पहले ही तालिबानी नेता मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने कहा था कि अफगानिस्तान में फिर से फांसी की सजा दी जाएगी और दोषियों के हाथ काटे जाएंगे. पिछली बार भी जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन किया था तो ऐसी सजा सार्वजनिक तौर पर दी जाती थी.
एक दिन पहले ही तालिबानी नेता ने किया था ऐलान
बता दें, मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी (Mulla Nooruddin Turabi) तालिबान के संस्थापकों में से एक है. एक इंटरव्यू में मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने तालिबान की फांसी की सजा जारी रहने की बात कही. तालिबान के पिछले शासन में फांसी की सजा स्टेडियम में दी जाती थी, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ जमा होती थी. तालिबानी नेता ने यह भी कहा, ‘कोई हमें नहीं बताए कि हमारे कानून क्या होने चाहिए. हम इस्लाम का पालन करेंगे और कुरान के आधार पर अपने कानून बनाएंगे.’
तालिबानी शासन का क्रूर चेहरा
जब से तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया दुनिया की निगाह इस बात पर है कि तालिबान की सरकार में शामिल आतंकवादी कैसे शासन चलाएंगे. इस तरह की घटनाओं से साफ है कि तालिबान पहले की तरह आज भी जनता को दबा, डराकर ही रखना चाहता है. इससे पहल भी तालिबान शासन के दौरान सजायाफ्ता हत्यारों को गोली मार दी जाती थी. सजा को अंजाम पीड़ित परिवार देता था. जो लोग चोरी के दोषी होते थे उनके हाथ काट दिए जाते थे. हाईवे पर डकैती के दोषी का एक हाथ और एक पांव काट दिया जाता था.
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