डेस्क: हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए चिंताजनक है. बीते कुछ समय में चीन के जासूसी जहाज, युद्धपोत और सबमरीन के जरिए हिंद महासागर अपनी हेकड़ी दिखाने से बाज नहीं आ रहा है. इस बीच भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी कर ली है.
नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से अक्टूबर महीने में दो न्यूक्लियर सबमरीन बनाने को मंजूरी दे दी गई है. इस फैसले से हिंद महासागर में भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर को मजबूती मिलेगी, जो चीन की लंबी दूरी की मिसाइलों के दायरे में आती है. इसके साथ ही ये समंदर के भीतर चीनी आक्रामकता को भी चुनौती देगा.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 से 10 चीनी वॉरशिप, बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर्स, जासूसी जहाजों की आवाजाही हिंद महासागर में बढ़ी है. माना जा रहा है कि इन वजहों के चलते ही समंदर के ऊपर ही नहीं, भीतर भी भारत खुद को मजबूत कर एक सख्त संदेश देने जा रहा है. हिंद महासागर में चीन के हेकड़ी निकालने के लिए भारत न्यूक्लियर सबमरीन पर भरोसा जता रहा है. इससे न सिर्फ सख्त संदेश जाएगी, बल्कि चीनी सेना की दक्षिणी हिंद महासागर में की जा रही गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी.
फिलहाल भारत की दो न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन पहले से ही हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में गश्त कर रही हैं. वहीं, INS अरिधमन अगले साल कमीशन होने की प्रक्रिया में है. जहां आईएनएस अरिहंत में केवल 750 किलोमीटर रेंज वाली के-15 मिसाइलें ही हैं. वहीं, इन न्यूक्लियर सबमरीन में के-15 मिसाइल के साथ ही 3500 किमी रेंज वाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल को ले जाने की क्षमता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत को सेकेंड अकुला क्लास न्यूक्लियर अटैक की क्षमता वाली सबमरीन मिलने में देरी हुई है. रूस से भारत को एक न्यूक्लियर अटैक सबमरीन 2028 तक लीज पर मिलने की संभावना है. हालांकि, भारत इस प्रक्रिया को 2027 तक पूरा करने के लिए रूस पर दबाव डाल रहा है. बीते दिनों एनएसए अजीत डोभाल की रूस यात्रा पर राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
इतना ही नहीं भारत की मोदी सरकार क्षेत्रीय खतरों से निपटने की भी पूरी तैयारी में जुटी हुई है. मोदी सरकार की ओर से तीन एडवांस्ड कलवरी क्लास सबमरीन को लेकर भी फैसला किया गया है. ये कलवरी क्लास सबमरीन फ्रांस के सहयोग से बनाई जाएंगी.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved