उज्जैन। शिप्रा शुध्दिकरण से लेकर घाटों को सुंदर बनाने की नई योजनाएं तैयार हो रही है। लेकिन रामघाट पर शिप्रा स्नान करने के बाद महिला श्रृध्दालुओं को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। क्योंकि यहां वस्त्र बदलने के लिए शेड तो है। लेकिन उनके दरवाजे टूटने के बाद गायब हो गये हैं। मजबूरी में महिलाओं को दरवाजे पर कपड़ा बांधकर उपयोग करना पड़ रहा है।
पिछले कई सालों से उज्जैन में स्मार्ट सिटी योजना के काम चल रहे हैं। इसमें नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी मिलकर घाटों पर सौंदर्यीकरण के कई काम करा चुके हैं और आगामी सिंहस्थ 2028 को देखते हुए शिप्रा शुध्दिकरण से लेकर घाटों के विस्तार और सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ो की योजनाएं बन रही है। परंतु शिप्रा स्नान करने आने वाली महिला श्रृध्दालुओं के लिए नगर निगम व्दारा यहां वस्त्र बदलने के लिए लोहे के शेड रखवाए गए हैं। हालांकि बारिश में बाढ़ आने के कारण घाटों से नगर निगम इन्हें हटवा लेता है। परंतु अभी गर्मी के दिन है और बारिश में देरी है। यहां रामघाट क्षेत्र में गिनती के तीन- चार शेड रखे हुए हैं। इनके कई महिनों से लोहे के दरवाजे गायब हो चुके हैं जिन्हें नगर निगम ने आज तक नही लगवाया है। गर्मी के दिनों में और छुट्टियों के कारण शिप्रा स्नान करने के लिए देश के अलग अलग राज्यों से रोजाना हजारो श्रृध्दालु आ रहे हैं। पुरुष श्रृध्दालु तो स्नान करने के बाद कहीं भी वस्त्र बदल सकते हैं। परंतु महिला श्रृध्दालुओं को वस्त्र बदलने के लिए शेड की अधिक आवश्यकता पड़ती है। बावजूद इसके नगर निगम ने यहां के शेड के टूट चुके दरवाजों को नही लगवाया है। ऐसे में स्नान के बाद महिला श्रृध्दालु इन्हीं बगैर दरवाजों के शेड में जाकर पहले टूटे दरवाजे पर कपड़ा बांध रही है और फिर वस्त्र बदल रही है। यहां कई महिनों से हजारों महिला श्रृध्दालु इसी तरह शर्मिंदगी झेल रही है। परंतु जवाबदारों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। यहां के टूटे दरवाजे स्मार्ट सिटी की हंसी उड़वा रहे है।
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