इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में राष्ट्रीय पक्षी (National Bird) संकट में हैं. राज्य के आसपास के इलाकों में मोर (Peacock) पर कुत्तों (Dog’s) से खतरा मंडरा रहा है. मोर के अस्तित्व पर संकट का कारण कुत्ते हैं जो राष्ट्रीय पक्षी के अंडों को खाते जा रहे हैं. मोर को शिकारियों से बचाने में तो वन विभाग (Forest department) ने सफलता पा ली है, लेकिन आवारा कुत्तों से बचाने में असफल दिखाई दे रही है. भोपाल और आस-पास के इलाकों में मोर की संख्या में लगातार कमी चिंता का विषय बना हुआ है.
मोर की संख्या में कमी की एक वजह यह सामने है कि पिछले कुछ समय से कुत्तों की फीडिंग भी कराई जा रही है, जिसके कारण कुत्तों की संख्या पहले से बढ़ गई है. शहर में कुत्तों की संख्या ज्यादा होने के कारण यह जंगलों में घुसकर मोर के अंडों को खा जाते हैं, जिससे नए मोरों की संख्या में बढ़त नहीं हो पा रही है. वन विभाग के कर्मचारियों ने कुत्तों को पकड़ने के लिए शिकायद भी दर्ज कराई है, लेकिन इससे कुछ लाभ नहीं मिल पा रहा है और मोरों की संख्या में कमी होती जा रही है.
जमीन में घोसला कुत्तों के शिकार को बना आसान
मोर अपना घोसला जमीन पर बनाते हैं, जिसके कारण कुत्तों की अंडों तक पहुंच और आसान हो जाती है. पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार जनवरी से मार्च तक का समय मोर के अंडों से बच्चों के निकलने का होता है. लेकिन बच्चों के अंडों से निकलने के पहले ही आवारा कुत्ते उन्हें अपना खाना बना ले रहे हैं. राज्य के वन विहार, शाहपुरा, मोरवन के आस-पास के क्षेत्रों में मोर ज्यादा संख्या में रहते हैं.
अभी राजधानी और आस-पास के इलाकों में मोर की संख्या लगभग 10 हजार है. फिलहाल पहले की तुलना में मोरों की संख्या में 33 फीसदी की बढ़त हुई है लेकिन अगर इनके अंडों को सुरक्षित नहीं किया गया तो राष्ट्रीय पक्षी की संख्या तेजी से घट सकती है.
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