मेरठ । कभी कभी अस्पतलों (hospitals) में डाक्टरों (doctors) की बड़ी लापवाही (carelessness) भी उजागर हो जाती है। ऐसा ही मामला यूपी के मेरठ (Meerut of UP) से आया जहां एक जिंदा शख्स को डाक्टरों ने मृत बताकर फ्रीजर में बद करवा दिया।
बता दें कि यूपी के मेरठ में दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ नगर निगम का लैंप लाइटर श्रीकेश साढ़े तीन दिन तक जंग के बाद आखिरकार काल के गाल में समा गया। डॉक्टरों (Doctors) की लापरवाही कहें या कुछ और कि एक शख्स जिसे पहले मृत घोषित किया जाता है, वो मुर्दाघर में जिंदा पाया जाता है। सात घंटे से ज्यादा समय तक शख्स को मोर्चरी के फ्रीजर (Morgue Freezer) में रखा गया, बाद में जब पुलिस पीड़ित परिजनों को लेकर पहुंची तो शख्स की सांस चलती पाई गई, हालांकि, बाद में शख्स कोमा में चला गया और आखिरकार उसकी मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि मामला मेरठ का है. 40 वर्षीय श्रीकेश कुमार को मोर्चरी से वापस लाकर मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। कोमा में चले जाने के बाद वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे और डॉक्टर उनका उपचार कर रहे थे।
परिजनों का कहना है कि मेरे भाई ने अपने जीवन के लिए संघर्ष किया, लेकिन पांच दिनों के बाद वह लड़ाई हार गए। वह जीना चाहते थे। उन्होंने ठीक होने के संकेत दिए क्योंकि जब भी हम उनका नाम पुकारते थे तो वे जवाब देते थे, हालांकि, उनके दिमाग में थक्का जम गया था। हम उनकी मौत के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
वहीं मुरादाबाद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शिव सिंह ने कहा था कि यह ‘सस्पेंडेड एनीमेशन’ का मामला हो सकता है, जहां मौत हुए बिना ही कई महत्वपूर्ण अंगों की अस्थायी समाप्ति होती है, जिससे इस तरह की असाधारण स्थिति पैदा हो सकती है।
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