जमा धन राशि हड़पने के साथ गुरुद्वारा विस्तार के लिए ट्रस्ट की बजाय खुद के और परिवार के नाम खरीद ली जमीनें – ईओडब्ल्यू ने दर्ज की एफआईआर
इंदौर। बीते कुछ समय से गुरुद्वारा नंदानगर की संगत को प्राप्त दंगों की मुआवजा राशि में की गई अफरा-तफरी के साथ ही गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब जी ट्रस्ट में किए गए फर्जीवाड़े की जांच चल रही है और ईओडब्ल्यू ने प्रकरण पंजीबद्ध करने के बाद अभी एफआईआर भी दर्ज कर दी। ट्रस्ट के हॉस्पिटल में इलाज के लिए लाए गए डॉक्टर ने ही करोड़ों का घोटाला कर दिया। एक तरफ जहां कूटरचित दस्तावेजों से जमा राशि में हेराफेरी की, वहीं ट्रस्ट की बजाय करोड़ों रुपए की सम्पत्तियां खुद के और परिवार के नाम पर ले ली।
ईओडब्ल्यू के उप पुलिस अधीक्षक अजय जैन ने बताया कि ट्रस्ट की जांच के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है। डॉ. रघुवीरसिंह माखिजा, इनके पुत्र सतविंदरसिंह माखिजा के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत धोखाधड़ी, दस्तावेजों की कूटरचना करना, जालसाजी के आपराधिक प्रकरण दर्ज किए हैं। दरअसल गुरुद्वारा संगत को 1984 के दंगों की मुआवजा राशि साढ़े 14 लाख रुपए प्राप्त हुई थी और इस राशि पर गुरुद्वारा संगत का ही अधिकार था, क्योंकि प्रांगण में संचालित स्कूल और अस्पताल को दंगों के दौरान काफी नुकसान पहुंचा था। यहां पर स्कूल, अस्पताल और गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब जी ट्रस्ट, नंदानगर द्वारा संचालित किया जाता है और अस्पताल को संचालित करने और इलाज हेतु चूंकि डॉक्टर की जरूरत थी, लिहाजा तत्कालिन ट्रस्टियों ने डॉ. माखिजा को ट्रस्टी नियुक्त कर दिया मगर ट्रस्टी बनते ही उनकी नियत बदल गई और सुनियोजित योजना के तहत हॉस्पिटल ट्रस्ट पर कब्जा किया और मुआवजे की राशि को भी हड़पने की नियत से ट्रस्टियों को यह भरोसा दिलाया कि विष्णुपुरी क्षेत्र में भी एक अस्पताल और स्कूल खोलने के लिए इस पैसे से जमीन खरीदी जाएगी। बाद में विष्णुपुरी क्षेत्र में जमीन खरीदकर उस पर बिल्डिंग बनाई और व्यवसायिक उपयोग शुरू कर दिया। पुराने ट्रस्टियों की मौत होने के साथ फाउंडर ट्रस्टी कृपालसिंह भाटिया को भी जानकारी दिए बिना हॉस्पिटल ट्रस्ट में अपने पुत्र सतविंदर, रिश्तेदार मंजीत व अन्य को अवैध रूप से ट्रस्टी नियुक्त कर सम्पत्तियों पर कब्जा कर लिया। करोड़ों रुपए की बेनामी सम्पत्ति और परिवार के नाम पर अलग खरीद ली। जबकि जमीन खरीदते वक्त तय हुआ था कि इसका मालिकाना हक संगत और गुरुद्वारे का ही रहेगा। लेकिन डॉ. माखिजा ने अपने स्वयं के नाम और परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन खरीदकर उसका व्यवसायिक इस्तेमाल शुरू कर दिया। दस्तावेजों से भी यह गबन और धोखाधड़ी उजागर हुई। यहां तक कि वरिष्ठ ट्रस्टी श्री भाटिया के भी फर्जी हस्ताक्षर कर कूटरचित प्रस्ताव तैयार किए और उसके आधार पर अपने पुत्र सतविंदर और मंजीत के साथ श्रीमती रविन्दर कौर कलसी को अवैधानिक रूप से ट्रस्टी बना दिया। इतना ही नहीं ट्रस्ट की आड़ में खुद के द्वारा संचालित स्कूल और कॉलेज को भी प्रमोट किया जाता रहा और ट्रस्ट की बैलेंसशीट में भी गड़बड़ी की गई। यहां तक कि मुआवजे की राशि में से साढ़े 4 लाख रुपए की राशि अपने खुद के नाम पर चेक के जरिए हासिल कर ली और 2 लाख रुपए गुरुसिंघ सभा को देना बताए। वहीं गुरु हरकिशन मेडिकोज समिति को 1.66 लाख, गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल को 1 लाख 1750 रुपए और गुरुनानक दरबार राजमोहल्ला को 10 हजार रुपए व अन्य को भी इसी तरह राशि बांटना बताई गई।
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