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    अरब के छोटे देशों की नाराजगी भी है बड़ी चिंता, भारत के लिए कितने अहम

  • June 07, 2022


    नई दिल्ली। पिछले हफ्ते बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने इस्लाम और पैगंबर को लेकर ऐसा कुछ विवादित कह दिया दिया कि पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। बीजेपी ने दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल को भी निष्कासित कर दिया है। बीजेपी ने यह कदम खाड़ी देशों द्वारा किए गए विरोध के बाद उठाया। भारतीय विदेश मंत्रालय को भी मामले को लेकर अपना पक्ष रखना पड़ा है।

    ये छिपी बात नहीं है कि भारत के लिए खाड़ी अहम हैं लेकिन भारत के लिए खाड़ी का यह मुस्लिम क्षेत्र कितना महत्वपूर्ण है, आइए समझने की कोशिश करते हैं। कतर जैसे छोटे लेकिन समृद्ध देश खाड़ी क्षेत्र में भारत के सबसे करीबी सहयोगियों में से है। खाड़ी देशों के साथ भारत के बेहतर संबंध रहे हैं। इस रिश्ते के दो सबसे महत्वपूर्ण कारण तेल और व्यापार हैं। इसके साथ ही लाखों की संख्या में इन देशों में काम कर रहे भारतीय और उनके द्वारा भारत को भेजे जाने वाले पैसे भी महत्वपूर्ण कड़ी हैं।


    भारत इन देशों के साथ कितना व्यापार करता है?
    इंडियन एक्सप्रेस ने सऊदी अरब की राजधानी रियाद स्थित भारतीय एंबेसी के हवाले से बताया है कि गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार के तौर पर उभरा है। इस GCC में सऊदी अरब, ओमान, कतर, कुवैत, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं। GCC देशों के तेल और गैस के भंडार भारतीय ऊर्जा जरूरतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

    2021-22 में संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा, सऊदी अरब चौथा सबसे बड़ा। इराक पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। कतर की बात करें तो यह भारत के कुल व्यापार का सिर्फ 1.4 फीसद है लेकिन प्राकृतिक गैस के लिए भारत का सबसे महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है।

    भारत कितना तेल आयात करता है?
    ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत की 84 फीसद से अधिक पेट्रोलियम मांग आयात से पूरी की जाती है। भारत ने 2021-22 में 42 देशों से कच्चा तेल खरीदा जो कि 2006-07 के 27 देशों से अधिक था। हालांकि भारत के तेल आयात के टॉप 20 देशों का भारत के तेल आयात में 95 फीसद से अधिक का योगदान है और टॉप 10 देशों का 80 फिस्स से अधिक का योगदान है।

    2021-2022 के दौरान इराक भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक था जिसका हिस्सा 2009-2010 में 9 फीसद से बढ़कर 22 फीसद तक हो गया है। सऊदी अरब के तेल आयात का 17-18 फीसद हिस्सा है। 2009-2010 में ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक हुआ करता था लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान का हिस्सा घटकर 1 फीसद से भी कम रह गया है।


    कितने भारतीय इन देशों में काम करते हैं
    इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि गल्फ देशों में 1.34 करोड़ भारतीय काम करते हैं। संयुक्त अरब अमीरात में 34.2 लाख, सऊदी अरब में 26 लाख और कुवैत में 10.03 लाख भारतीय काम करते हैं। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि रेमिटेंस के मामले ने भारत 2020 में 83.15 बिलियन डॉलर का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता था।

    इसमें सबसे बड़ा योगदान खाड़ी में विशाल भारतीय प्रवासी है। नवंबर 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया था कि GCC देशों ने 2016-17 में भारत द्वारा प्राप्त कुल 69 बिलियन डॉलर रेमिटेंस का हिसा 50 फीसद से अधिक रहा। इसमें संयुक्त अरब अमीरात का 26.9%, सऊदी अरब का 11.6%, कतर का 6.4%, कुवैत का 5.5% और ओमान का 3% शामिल है।

    भारतीय पीएम की क्या पहुंच रही है?
    2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने खाड़ी के देशों से बेहतर संबंध बनाने पर विशेष ध्यान दिया है। 2019 दिसंबर की एक रैली में मोदी ने कहा था कि मोदी को मुस्लिम देशों द्वारा इतना समर्थन क्यों दिया जाता है? … आज, भारत के इतिहास में खाड़ी देशों के साथ सबसे अच्छे संबंध हैं। पीएम बनने के बाद से मोदी 3 बार संयुक्त अरब अमीरात और 2 बार सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं। इसके साथ ही वह कतर, बहरीन, ईरान, ओमान, फिलिस्तीन आदि देशों का दौरा भी कर चुके हैं।

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