नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्में देने वाले मशहूर फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे की आज 101वीं जयंती है। दो मई 1921 को जन्मे सत्यजीत रे का नाम देश के महान निर्देशकों में शामिल है। एक सफल निर्देशक होने के साथ-साथ वह एक महान लेखक, कलाकार, चित्रकार, फिल्म निर्माता, गीतकार और कॉस्ट्यूम डिजाइनर भी थे। उन्होंने फिल्म जगत को पाथेर पांचाली, अपराजितो, अपूरसंसार और चारूलता जैसी कई यादगार फिल्में दी हैं। उन्होंने अपने अपने जीवन में कुल 37 फिल्में बनाई थीं, जिनकी वजह से वह पूरी दुनिया में छा गए।
भारतीय सिनेमा में एक बड़ा योगदान देने वाले सत्यजीत रे का फिल्मों के प्रति आकर्षण उनकी एक इंग्लैंड यात्रा की बाद से आया। बात अप्रैल 1950 की है, जब रे अपनी पत्नी के साथ इग्लैंड यात्रा पर गए थे। उस दौरान सत्यजीत रे एक विदेशी विज्ञापन कंपनी के लिए काम किया करते थे। काम को बेहतर ढंग से सीखने के लिए से कंपनी ने छह महीने के लिए रे को लंदन हेड ऑफिस भेजा था।
लंदन में उन्होंने फिल्म बाइसिकल थीव्ज देखी, जिसके बाद वह फिल्म से इतना प्रभावित हुए कि उनके मन में निर्देशक बनने की इच्छा जाग उठी। लंदन में रहते हुए उन्होंने करीब 100 फिल्में देखी। बस फिर क्या था अपनी इस चाहत को पूरा करते हुए सत्यजीत रे ने अपनी पहली फिल्म पाथेर पांचाली बनाई। उनकी इस फिल्म को कांस फिल्म फेस्टिवल में भी खूब सराहा गया। सत्यजीत रे ने ज्यादतर फिल्में बंगाली में ही बनाई।
उनकी पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ ने कई अवॉर्ड जीते। इसके बाद उन्होंने हिन्दी में ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी फिल्म बनाई। यह हिन्दी सिनेमा की यादगार फिल्मों में शामिल है। सत्यजीत रे की बेहतरीन फिल्मों के लिए उन्हें भारतीय सिनेमा का सबसे बेहतर डायरेक्टर कहा जाता है। हॉलीवुड फिल्म ‘द गॉडफादर’ के डायरेक्टर फ्रांसिस फॉर्ड कोपोला भी सत्यजीत रे के फैन थे। रे की पहली फिल्म की जहां दुनियाभर में तारीफ गई तो वहीं इस फिल्म को भारत में आलोचना झेलनी पड़ी।
दरअसल, इस फिल्म में रे ने भारत की असल तस्वीर दिखाई थी, जिसे विदेशों में तो खूब सराहा गया लेकिन भारत में नहीं। फिल्म में भारत की गरीबी का महिमामंडन था। खास तौर पर इसमें पश्चिम बंगाल के हालात को खुल कर पेश किया था। भारतीय में सिनेमा के अपने अहम योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सत्यजीत रे को 32 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इतना ही नहीं सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए ही उन्हें विशेष ऑस्कर सम्मान दिया गया था। उस समय बीमारी की वजह से यात्रा करने में असमर्थ रे को यह सम्मान देने कमेटी के अध्यक्ष खुद भारत आए थे।
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