यंगून । म्यांमार (Myanmar ) में सैन्य तख्तापलट (military rule) के खिलाफ लगातार नवें दिन भी अधिकांश शहरों में जनता का सैलाब सड़कों पर दिखा। सत्ता पर काबिज सेना ने अब प्रदर्शनकारियों (Protesters) की आवाज दबाने के लिए नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित तीन मौलिक कानूनों (three laws) को निलंबित कर दिया है। अब सैन्य प्रशासन की तानाशाही खुलकर सामने आ रही है। देश के बड़े शहर यंगून में रविवार को इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं ने सफेद कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया। इनके हाथों में नेता आंग सान सू की की रिहाई की तख्तियां लगी हुई थीं। यहां पर बसें हॉर्न देते हुए धीरे-धीरे चल रही थीं।
राजधानी नेपीता में भी जनता ने मोटरसाइकिल और कारों की लंबी रैली निकाली। दक्षिण पूर्व समुद्र तटीय शहर डवे में कड़ी धूप के बावजूद हजारों लोग इकट्ठा हो गए। म्यांमार के अन्य शहरों में भी इसी तरह से जनता ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए।
सैन्य नेतृत्व में काम कर रही प्रादेशिक काउंसिल ने व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वतंत्रता से संबंधित कानून की धारा 5, 7 और 8 को निलंबित कर दिया है। धारा 5 में निजता के अधिकार का प्रावधान है। प्रशासन बिना स्थानीय दो गवाहों के किसी के घर में घुसने, तलाशी लेने या गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं रखता है। धारा सात में प्रावधान है कि 24 घंटे से ज्यादा समय तक गिरफ्तारी पर अदालत में पेश किया जाना अनिवार्य है। धारा 8 व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है। इसमें किसी के घर या निजी कमरे में घुसने के लिए कानूनी उपचार आवश्यक हैं।
वहीं, जापान की राजधानी टोक्यो में हजारों लोगों ने म्यांमार में लोकतंत्र बहाली को लेकर विशाल प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में म्यांमार की नेता आंग सान सू की के चेहरे की तस्वीरें थीं। यह जापान में कुछ सालो में सबसे बड़ा प्रदर्शन था। इसके अलावा दुनिया के कई देश सैन्य तानाशाही का खुलकर विरोध करने सामने आए हैं। जिनमें कि अमेरिका सबसे ज्यादा मुखर है।
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