• img-fluid

    हसरतें कुछ पाने की नहीं… खुद को बचाने की हैं…

  • March 15, 2024

    बहुत मुश्किल होता है अपना घर छोडऩा..और किसी के ठसाठस भरे घर में खुद के लिए जगह ढूंढना… पता होता है कि घूरती आंखें उन्हें परायेपन का एहसास कराएगी… हिकारत भरी नजरें जब उनका दिल दुखाएगी, तब अपने घर की बहुत याद आएगी… जिस घर में वर्षों बिताए… जिस दल में कई अपने बनाए… जिस दल के लिए संघर्ष किया… जिस दल में मान-सम्मान और मुकाम पाया, उसे छोडऩे का वक्त जिस मजबूरी में आया… उससे सब वाकिफ हैं… एक घर का ही जब मुखिया चला जाता है, तब घर बिखर जाता है… यह तो एक दल था… करोड़ों लोग थे… एक संगठन था… एक शक्ति थी… एक ताकत थी… जिसे संभालने-संवारने वाला…सही समय पर निर्णय लेने वाला ही नहीं बचा तो घर का बिखरना तय था… मायूसी, निराशा… बदहवासी का पतझड़ जब आता है… तब पत्तों की तरह घर बिखर जाता है… ऐसे पत्ते कहां टिकेंगे… धूल में मिलेंगे या थाल में सजेंगे… कोई ठिकाना नहीं रहता है… कांग्रेस छोडक़र भाजपा में जाने वाले लोग जानते हैं कि बस ठसाठस भरी है… मुकाम मुश्किल है… लटककर भी जाएंगे तो मंजिल नहीं पाएंगे, लेकिन सुकून इस बात का होगा कि रंजिश की आग से बच तो जाएंगे… यही सोचकर कांग्रेसियों का कारवां भगवा होता जा रहा है… एक के बाद एक कई जा रहे हैं… जो जा रहे हैं, वो मलाई के लिए नहीं, बल्कि खुद की भलाई के लिए जा रहे हैं… जो अपना रहे हैं, वो भी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि दुश्मन की ताकत घटाने के लिए घांस डाल रहे हैं… विधानसभा चुनाव निपट चुके हैं… लोकसभा चुनाव भी निपट जाएंगे और इनके साथ ही कांग्रेस का भी निपटना तय है… अभी मौका है, जो जाएंगे वह भगवा पहन पाएंगे… चुनाव के बाद तो न भाजपाई भगवा पहनाएंगे और न कांग्रेसियों को पहचानने वाले मिल नहीं पाएंगे… न कोई अपना बनाएगा और न कोई अपनापन जताएगा… इसीलिए अदला-बदली के मौसम की बारिश में भीगने के लिए भागने का दौर चल रहा है… इस भागमभाग की शुरुआत तो कांग्रेस के बाहुबलि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुरू की थी… उन्होंने मोदी की गारंटी में अपने मुकाम की गारंटी मांगी और बदले में धक्के और लटकने वाली बस में ठसने का पैगाम मिला तो बाहुबलि के बल ढीले पड़ गए और लौट के कमलनाथ कांग्रेस में आए… जैसी स्थिति में न मान रहा है, न पहचान बची… लेकिन उनके चेले-चपाटे पाला बदलने का मन बना चुके थे… लिहाजा उनके करीबी संजय शुक्ला और वर्षों कमलनाथ की गाड़ी धकाने वाले विशाल पटेल सुरेश पचौरी की गाड़ी चलती देख उसमें सवार होकर भाजपा की भगवामयी बरात में शामिल हो गए… शुक्ला और पटेल की बत्ती जलती देख पंकज संघवी और अंतरसिंह दरबार के बुझे चिरागों में भी भाजपाई तेल जा पड़ा और वो भी आज रोशन होने निकल पड़े… अब कांग्रेस शहर में अपना नामलेवा खोज रही है तो गिने-चुने जाबांज ही भाजपाई अंधड़ से खुद को बचाते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन तकलीफ यह है कि यह तूफान कब तक उन्हें टिका पाएगा… हालांकि यह भी सही है कि जो जाएगा, वो भी केवल भगवा दुपट्टा पहनकर घूमता ही नजर आएगा… भाजपा की भीड़ में उन्हें अंतिम पंक्ति में भी मुश्किल से स्थान मिल पाएगा… लेकिन फिलहाल सवाल स्थान पाने का नहीं खुद को बचाने का है… पांच साल गुजारने का है… भाजपा के प्रकोप से बचने के लिए आसरा पाने का है… भाजपाई कांग्रेसियों के इस समर्पण पर इठला सकते हैं… डूबती कांग्रेस पर उंगली उठा सकते हैं… लेकिन उन्हें वक्त की मार और धार समझना चाहिए… एक वक्त था, जब भाजपा की हालत भी कांग्रेस जैसी ही थी… जनसंघ के जमाने में उनके पास उम्मीदवार नहीं होते थे तो भाजपा बनने के बाद भी गिने-चुने नाम ही संघर्ष करते थे… कभी वो भी दो सीटों पर सिमटे थे और अटलजी एक वोट से सत्ता से फिसले थे… वो तो मोदी नाम के चिराग से भाजपा रोशन हो गई और भाजपाइयों के घर उजाले से भर गए… जबकि कांग्रेस नेतृत्व के अंधकार में डूबकर अमावस हो गई… जो आए हैं या जो आएंगे वो भी हताश हैं, निराश हैं… उन्हें संभालने जाएंगे तो अपने बिखर जाएंगे… भाजपा की मुश्किल यह है कि वो कारवां तो बढ़ा सकती है… लेकिन आने वालों की भीड़ को नहीं संभाल सकती है… विद्रोह भाजपा में भी हो सकता है… जिन्होंने त्याग और समर्पण किया, उन्हें यदि मुकाम नहीं मिला तो बगावत घर में भी नजर आएगी… इसलिए यह तो तय है कि आने वालों को भी राह नहीं मिल पाएगी…

    Share:

    इलेक्टोरल बॉन्ड नंबर जारी न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI से मांगा जवाब, 18 मार्च तक का दिया समय

    Fri Mar 15 , 2024
    नई दिल्ली। चुनाव आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर कर शीर्ष अदालत को सौंपे गए चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) पर सीलबंद लिफाफे वापस करने की मांग की थी। याचिका (Petition) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई (SBI) से पूछा कि उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर्स क्यों जारी नहीं […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved