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    संगठन की नीति पर भारी भाजपा नेताओं की इच्छा

  • November 09, 2022

    • परिवारवाद के आरोपों से बचने बेटा-बेटी को टिकट देने पर फूट

    भोपाल। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेताओं के बेटा-बेटी चुनाव लडऩे का सपना देख रहे हैं, लेकिन राजनीति में ‘परिवारवाद और वंशवाद विराधीÓ पार्टी का सिद्वांत नेता पुत्रों की सियासी राह में आड़े आ रहा है। पिछले दो-तीन बाद ने चुनाव में टिकट नहीं दिलाने पाने से आहत नेता अब नेता पुत्रों को टिकट को लेकर मुंह खोलने लगे हैं। मंगलवार को लंबे समय बाद हुई भाजपा की कोर कमेटी की बैठक के बाद नेता पुत्रों को टिकट देने का मुद्दा एक बार सुर्खियां बटोर रहा है। खास बात यह है कि अभी तक मप्र भाजपा के किसी बड़े नेता ने नेता पुत्रों को टिकट देेन की खुलकर सिफारिश नहीं की है। लेकिन जिस तरह से नेता अब पार्टी की ‘परिवारवाद और वंशवाद विराधी’ नीति के इतर बयान देे रहे हैं, उससे लगता है कि अगले साल नेता पुत्रों को टिकट देने का रास्ता निकल सकता है। मप्र भाजपा के ज्यादातर नेताओं के बेटा-बेटी ने अपने पिता के चुनाव क्षेत्र से ही चुनाव लडऩे की तैयारी कर रखी है। पिछले कई सालों से ये चुनाव क्षेत्र में जनता के बीच काम कर रहे हैं। साथ ही युवा मोर्चा के जरिए संगठन में एंट्री करके कई पदों पर विराजमान भी हो चुके हैं। टिकट का इंतजार करते-करते कुछ नेताओं के बेटा-बेटी को वरिष्ठ नेताओं की श्रेणी में भी आ चुके हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि अगले चुनाव में नेता पुत्रों को चुनाव लडऩे का मौका मिल सकता है।

    कई नेताओं का कटेगा टिकट!
    हर बार की भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी मौजूदा विधायकों के टिकट काटेगी। इनमें भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के भी टिकट कट सकते हैं। ऐसी संभावना है कि उम्र या फिर युवा पीड़ी को आगे लाने का हवाला देकर नेता खुद चुनाव से पीछे हटकर अपने बेटों को चुनाव लड़वा सकते हैं। पिछले चुनाव में भी कुछ नेताओं ने अपने बेटों को टिकट दिलाया था। जिनमें पूर्व मंत्री गौरीशंकर सेजवार भी हैं। हालांकि सेजवार अपने बेटे मुदित सेजवार केा चुनाव नहीं जितवा पाए थे।



    अब खुलकर बोलने लगे हैं नेता
    बेशक भाजपा परिवारवाद एवं वंशवाद के आरोप लगाकर कांगे्रस समेत अन्य राजनीति दलों पर आरेाप लगाती रही है। अब भाजपा में खुद परिवारवाद और वंशवाद की बेल लंबी हो चुकी है। बेटों को टिकट दिलाने के चक्कर में नेता उम्रदराज हो रहे हैं। ऐसे में उनकी पूरी कोशिश है कि किसी तरह बेटा-बेटी को राजनीति में स्थापित कर दिया जाए। अभी तक मप्र सरकार के मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा (पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा के बेटे)नेता पुत्रों को टिकट देने की वकालात कर चुके हैं। भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य सत्यनारायण जटिया ने इस मुद़द को यह कहकर हवा दे दी है कि नेता पुत्रों को योग्यता के आधार पर टिकट मिलना चाहिए। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव ने इस मुद्दे पर मुंह नहीं खोला है। हालांकि इनके बेटा टिकट की योग्यता पूरी करते हैं।

    बेटो को टिकट दिलाकर खुद घर बैठेंगे नेता
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा की राष्ट्रीय स्तर की बैठकों में वंशवार को लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन बताकर स्थिति साफ कर चुके हैं। इसके बावजूद भी राजनीतिक दलों में चुनाव जीतने की प्राथमिकता के आधार पर टिकट तय होते हैं। ऐसे में नेता या फिर नेता पुत्रों को टिकट देना पार्टी की मजबूरी हो सकती है। क्येांकि मप्र में ही में ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां एक नेता के अलावा कोई दूसरा नेता पनप नहीं पाया है। ऐसे में पार्टी नेता का टिकट काटकर उनके पुत्र या फिर पुत्री को टिकट दे सकती है। पिछले चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव से किनारा कर बेटे को चुनाव मैदान में उतार दिया था। अभी तक मप्र भाजपा के मौजूदा दिग्गज नेताओं में विजयवर्गीय ही अपने बेटे को सियासत में स्थापित करने में सफल रहे हैं।

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