नई दिल्ली (New Delhi)। नोबेल प्राइज कमेटी के डिप्टी लीडर (deputy leader of the Nobel Prize Committee) एस्ले टोजे (Ashley Toje) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की जमकर तारीफ की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, टोजे ने कहा कि वह पीएम मोदी की कोशिशों को लगातार फॉलो कर रहे हैं और उनके जैसे पावरफुल लीडर (powerful leader) के पास शांति बनाए रखने की क्षमता है। नोबेल पुरस्कार को लेकर उन्होंने कहा, ‘नोबेल पीस प्राइज के लिए बड़ी संख्या में भारतीयों के नॉमिनेशन मिल रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि दुनिया का हर नेता वो काम करे जो नोबेल पीस प्राइज के लिए जरूरी हो।’
मालूम हो कि नार्वे से नोबेल प्राइज कमेटी की टीम भारत आ चुकी है। यह वही कमेटी है जो पीस प्राइज का विजेता तय करती है। रिपोर्ट के मुताबिक एस्ले टोजे ने कहा, ‘मैं पीएम मोदी के प्रयास को लगातार फॉलो कर रहा हूं। मोदी जैसे पावरफुल लीडर के पास शांति बनाए रखने की क्षमता है। वह एक ताकतवर देश से आते हैं और उन्हें बहुत गंभीरता से लिया जाता है। मोदी के भीतर विश्वसनीयता है। वह इस ताकत का इस्तेमाल भयावह युद्ध को रोकने में करेंगे।’
‘भारत की नो फर्स्ट यूज पॉलिसी सबसे जिम्मेदार नीति’
एस्ले ने कहा, ‘पीएम मोदी रूस, अमेरिका और चीन के राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि भविष्य शांति का हो ना कि युद्ध का। मोदी भारत को आगे बढ़ाने के साथ ही उन मुद्दों पर भी काम कर रहे हैं जो दुनिया में शांति के लिए जरूरी हैं। दुनिया को भारत से सीखना चाहिए। भारत का सुपरपावर बनना तय समझिए। रूस-अमेरिका परमाणु युद्ध और बचाव की बात कर रहे हैं। इन देशों को भारत की ओर देखने की जरूरत है। भारत की नो फर्स्ट यूज पॉलिसी सबसे जिम्मेदार नीति है।’
रूस-यूक्रेन विवाद बातचीत से सुलझाने पर मोदी का जोर
पीएम मोदी ने हाल ही में कहा था कि यूक्रेन में घटनाक्रम शुरू होने के समय से ही भारत ने बातचीत और कूटनीति के माध्यम से विवाद को सुलझाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि देश किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है। उन्होंने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज से बातचीत के दौरान यह बात कही थी। रूस-यूक्रेन संघर्ष के एक साल पूरे होने पर मोदी और शोल्ज के बीच चर्चा हुई थी। मोदी ने कहा, ‘कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव पूरे विश्व पर पड़े हैं। विकासशील देशों पर इसका विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव रहा है। हम इस बात से सहमत हैं कि इन समस्याओं का समाधान संयुक्त प्रयासों से ही संभव है और जी-20 की अध्यक्षता करने के दौरान भी भारत इस दिशा में प्रयास कर रहा है।’
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