नई दिल्ली। हजारों साल पहले पश्चिमी एशिया (Western Asia) के देशों में गेहूं की खेती होने के सबूत मिले हैं। इसके अलावा तुर्की, ईराक और मिस्र में भी खुदाई के दौरान गेहूं (Wheat) के दाने मिल चुके हैं, जो तकरीबन 6 हजार साल पुराने बताए जाते हैं और यही गेहूं (Wheat) आज दुनिया में सबसे ज्यादा खाने वाला अनाज है।
आपको बता दें कि दुनियाभर में हर साल 6020 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खपत होती है। गेहूं की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है। उसके बाद भारत का नंबर आता है वजह है कि आज भारत गेंहू का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है। आज इसी गेहूं की दुनियाभर में मारामारी हो रही है। पहले कोरोना और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं की सप्लाई पर असर पड़ा है। सप्लाई कम होने और डिमांड बढ़ने से गेहूं और आटे की कीमत बढ़ने लगी है।
दूससरी तरफ देश के दक्षिणी राज्यों में परंपरागत रूप से चावल खाया जाता है और गेहूं की मांग नहीं के बराबर है। लेकिन कोरोना महामारी (Covid-19 pandemic) के कारण वहां के लोगों की खानपान की आदत में थोड़ा बदलाव आया है। अब वहां अब आटे की मांग बढ़ रही है और पैकेज्ड आटा बेचने वाली कंपनियों में इसका फायदे उठाने की होड़ मची है।
अगर इंडस्ट्री लोगों की माने तो देश में पैकेज्ड आटे की कुल खपत में दक्षिण राज्यों का हिस्सा 18 फीसदी है। यह साल 2020 में 15 फीसदी था। कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत चावल के साथ आटा भी दिया गया। इस कारण दक्षिणी राज्यों में आटे की खपत बढ़ी है। बताया जा रहा हे कि दक्षिणी राज्यों में आटे को स्टैपल फूड में शामिल कराना आसान काम नहीं था। PMGKY के तहत गरीबों को मुफ्त आटा/गेहूं बांटा गया। इससे दक्षिणी राज्यों में आटे की खपत में तेजी आई है। लोगों की खानपान की आदतों में थोड़ा बदलाव आया है।
भारत दुनिया के उन देशों में है जो गेहूं का सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं। गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पादन भी चीन के बाद भारत में होता है। अमेरिका के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के मुताबिक, 2021-22 में दुनियाभर में 7793 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 1113 लाख टन गेहूं भारत में पैदा हुआ। इसे ऐसे समझिए कि दुनिया में पैदा होने वाले हर 100 किलो में से 14 किलो गेहूं भारत का होता है।
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