पेरिस. फ्रांस (France) के राष्ट्रपति (President) इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने जून में समय से पहले चुनाव कराने के फैसले को गलत माना। राष्ट्रपति ने कहा कि समय से पहले चुनाव (early elections) कराने से देश में राजनीतिक अस्थिरता (Political instability) पैदा हुई। इसका मुझे दुख है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह दांव उल्टा पड़ गया।
नए साल के जश्न से पहले संबोधन में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि मैं यह स्वीकार करता हूं कि चुनाव कराने के फैसले से शांति की बजाय अधिक अस्थिरता पैदा हुई। साथ ही फ्रांस के लोगों के लिए समाधान की बजाय संसद में विभाजन हुआ। इससे पहले मैक्रों ने चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद चुनाव के निर्णय को राजनीतिक स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत बताते हुए सही बताया था।
संबोधन में मैक्रों ने कहा कि मैं चाहता हूं कि हम 2050 को ध्यान में रखकर काम करें। हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे लोकतंत्र, हमारी सुरक्षा और हमारे बच्चों के लिए हमें चुनाव कराने होंगे। अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर मैक्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मामले में यूरोपीय संघ को भोलापन छोड़ना चाहिए। इस समूह को अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने की धमकी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें दूसरों द्वारा बनाए गए व्यापार नियमों को न कहना चाहिए। हम ही एकमात्र ऐसे हैं जो अभी भी उनका अनुपालन कर रहे हैं। हमें उन सभी चीजों को न कहना चाहिए जो हमें दूसरों पर अधिक निर्भर बनाती हैं।
मैक्रों ने यूक्रेन, पश्चिम एशिया में युद्ध, जॉर्जिया, रोमानिया मोल्दोवा में चुनाव में हुई धांधली का भी जिक्र किया। मैक्रों ने कहा कि यूरोप को अपनी सुरक्षा और रक्षा का काम अन्य लोगों को सौंपना बंद करना चाहिए। उन्होंने सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर रहे वाले यूरोपीय संघ के साझेदारों से कहा कि वे इस क्षेत्र में अधिक प्रयास करें।
जुलाई में हुए आम चुनाव में किसी पार्टी को नहीं मिला था स्पष्ट बहुमत
फ्रांस में जुलाई में हुए आम चुनाव में 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट (NFP) गठबंधन के पास सबसे ज्यादा 190 सीटें थीं। मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन के पास लगभग 160 सीटें और दक्षिणपंथी नेता ले पेन की नेशनल रैली के पास 140 सीटें थीं। इसके बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मिशेल बार्नियर को नया प्रधानमंत्री नामित किया था।
तीन महीने ही चल पाई थी बर्निये सरकार
माइकल बर्निये की सरकार के खिलाफ कट्टर वामपंथी दल ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसे मरीन ली पेन के नेतृत्व वाले धुर दक्षिणपंथी दल का भी समर्थन मिला था। फ्रांस की संसद के 577 सांसदों में से 331 सांसदों ने सरकार के खिलाफ मत दिया। इसके बाद से ही देश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। हाल ही में मैक्रों ने 73 वर्षीय फ्रांस्वा बायरू को नया प्रधानमंत्री बनाया है।
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