आतंक को पनाह… पलते रहे गुनाह… 42 सालों तक भारत माता की धरती को छलनी करने वाला गुनहगार यासिन मलिक अब जाकर सींखचों में कैद किया जाता है… कानून अब उसे मुजरिम ठहराता है… कई घरों को तबाह करने वाला…कई जिंदगियों को छीनने वाला…देश के स्वर्ग कश्मीर को नर्क बनाने वाला…आतंक का पर्याय बनकर कश्मीर को हिंदूविहीन करने वाला जुर्म का सपोला देश के अमन और शांति को डसता रहा और कानून खामोश रहकर गुनाह के दरिंदे को पलता-बढ़ता देखने के लिए इसलिए मजबूर रहा कि देश की सियासत ऐसे आतंकी को सजदा करती रहीं…अपनी मात्र 14 साल की उम्र से ही आतंक की राह पर चल पड़े मलिक ने 1980 में ताला पार्टी बनाकर बचपन से ही अपराध की दुनिया में कदम रख लिया था और कश्मीर में होने वाले क्रिकेट मैच की पिच उखाडक़र युवाओं को एकजुट कर उन्हें नफरत के निवाले खिलाने शुरू कर दिए…केवल 6 साल बाद ही मलिक 20 साल की उम्र में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टूडेंट लीग का गठन कर कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बाद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का हिस्सेदार बन गया और देश के गृहमंत्री के गिरेबां में हाथ डालने की हिमाकत करते हुए उनकी बेटी रूबिना का अपहरण कर पांच आतंकी छुड़ा लेता है और उसके एक साल बाद ही वायुसेना के पांच जवानों की हत्या कर डालता है…आतंक के इस दरिंदे के हौसले इसलिए बुलंद थे कि देश की सरकारें उस पर सजदा करती रहीं…वो आतंक और सरकार के बीच की कड़ी बनकर नसीहतें देता रहा… सरकार की बैठकों में बुलाया जाने लगा… एक आतंकी को शांति दूत का खिताब दिया गया… देश के सात प्रधानमंत्री के साथ काम करने का दावा करने वाला मलिक जब अदालत में अपनी सजा की बहस के दौरान उनके नाम लेता है…गुजराल से लेकर अटलजी तक की सलाह समितियों में शामिल होने का दावा करता है तो सर शर्म से झुक जाता है…उसकी यह बात इसलिए यकीन करने लायक लगती है कि चार दशक तक आतंक बिखेरता… बेगुनाहों की हत्या करता…देश के गृहमंत्री तक को चुनौती देने वाला फौजियों का कातिल मलिक न केवल आजाद घूमता है, बल्कि हावर्ड में भारत का प्रतिनिधित्व तक करता है तो लगता है कि इस देश पर कातिल राज करता रहा… लेकिन पहली बार मलिक से ज्यादा खूंखार सरकार सत्ता में आई…मोदीजी के नेतृत्व ने कश्मीर की फिजाओं से खूनियों को खदेडऩे की मुहिम चलाई…तब मलिक की मिल्कियत दांव पर लगी नजर आई…पांच साल पहले आतंक के पोषण के गुनाह में कठघरे में पहुंचा मलिक आज फांसी की सजा से बचकर यदि उम्रकैद की सजा तक पहुंचा है तो उसका कारण यह है कि अभी उसके ढेरों गुनाह का हिसाब होना बाकी है…उसे उसकी औकात भी पता चलना है… सरकार की टेढ़ी निगाहों के चलते मकबूल बट की सजा पर कश्मीर फूंकने वाले मलिक की सजा पर उसके गुुर्गे केवल पत्थर फेंककर खामोश हो गए…अपने मुहाफिज के अंजाम पर थरथरा रहे उसके साथियों ने संगीनें तानने की हिमाकत दिखाई तो वह मलिक से बदतर अंजाम पाएंगे…अब देश के दुश्मन सहन नहीं किए जाएंगे… आतंकियों को पाकिस्तान में घुसकर मारने वाले देश के पल्लू में अब खूनी पाले नहीं जाएंगे…
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