नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Aazad) पिछले दिनों राज्यसभा से रिटायर हो गए। उन्हें विदाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के आंसू छलक आए। मोदी (Modi) ने कहा था कि गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Aazad) जैसा दूसरा नेता कांग्रेस को नहीं मिलेगा। आजाद के साथ बिताए वक्त को याद करते हुए मोदी कई बार भावुक हुए थे। बाद में गुलाम नबी ने भी जब उच्च सदन में अपनी बात रखी तो उनकी आंखें भी नम हुईं। फिर अटकलों का दौर शुरू हुआ कि कहीं आजाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने तो नहीं जा रहे। इन अटकलों का जवाब खुद गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Aazad) ने दिया है। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में आजाद ने कहा कि वे उस दिन बीजेपी जॉइन कर लेंगे जब कश्मीर में काली बर्फ गिरेगी।
‘ऐसी अफवाह उड़ाने वाले मुझे नहीं जानते’ : आजाद ने कहा, “बीजेपी ही क्यों… कश्मीर में जब काली बर्फ गिरेगी तो किसी और पार्टी को भी जॉइन कर लूंगा। जो लोग ऐसा कहते हैं या ऐसी अफवाहें फैलाते हैं, वे मुझे नहीं जानते। जब राजमाता सिंधिया (विजया राजे सिंधिया) विपक्ष की उप-नेता थीं, तो उन्होंने खड़े होकर मुझपर कुछ आरोप लगाए थे। मैं उठा और मैंने कहा कि मैं आरोप को बड़ी गंभीरता से लेता हूं और सरकार की ओर से (अटल बिहारी) वाजपेयी की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का सुझाव देना चाहूंगा जिसमें वे (सिंधिया) और (लाल कृष्ण) आडवाणी सदस्य होंगे। मैंने कहा कि वे अपनी रिपोर्ट 15 दिन में देंगे और जैसी भी सजा तय करेंगे, मैं मान लूंगा। जैसे ही मैंने वाजपेयी जी का नाम लिया, वो आए और पूछा क्यों। जब मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने खड़े होकर कहा- मैं सदन से क्षमा मांगता हूं और गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Aazad) से भी। शायद राजमाता सिंधिया उन्हें नहीं जानतीं, लेकिन मैं जानता हूं।”
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संसद में क्यों रोए मोदी और आजाद? : गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Aazad) ने पिछले दिनों राज्यसभा के भीतर अपने और मोदी (Modi) के भावुक होने की वजह भी समझाई। उन्होंने कहा, “वजह ये थी कि 2006 में एक गुजराती टूरिस्ट बस पर (कश्मीर में) हमला हुआ था और मैं उनसे बात करते-करते रो पड़ा था। पीएम कह रहे थे कि ये (आजाद) ऐसे व्यक्ति हैं जो रिटायर हो रहे हैं और भले इंसान हैं। वह पूरी बात नहीं बता सके क्योंकि रो दिए थे, और जब मैं कहानी पूरी करना चाहता था तो मैं भी नहीं कर पाया क्योंकि मुझे लगा कि मैं 14 साल पहले के उसी पल में पहुंच गया था जब वो हमला हुआ था।”
टीवी डिबेट्स में साथ जाते थे दोनों : आजाद ने कहा कि वे और मोदी एक-दूसरे को 90 के दशक से जानते हैं। उन्होंने कहा, “हम दोनों महासचिव थे और टीवी डिबेट्स में अलग-अलग राय देने जाया करते थे; हम डिबेट्स में खूब लड़ा करते थे। लेकिन अगर हम जल्दी पहुंच जाते तो चाय पीते हुए बतियाते रहते थे। बाद में हमने एक-दूसरे को मुख्यमंत्रियों की तरह जाना, प्रधानमंत्री की बैठकों और गृह मंत्री की बैठकों में मिलते रहे। तब वह सीएम थे और मैं स्वास्थ्य मंत्री… हम हर 10-15 दिन पर बात करते थे।”
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