फरीदाबाद। हरियाणा के फरीदाबाद जिले की डबुआ कॉलोनी में 11 जुलाई को हुई एक महिला की हत्या के मामले का पुलिस से खुलासा कर दिया है। पुलिस के अनुसार, मृतक महिला की नाबालिग बेटी ने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या की वारदात को अंजाम दिया। मारने से पहले बेटी ने मां को नींद की गोली दे दी थी। फिर तकिये से मुंह दबाने के बाद चुन्नी से गला घोंट दिया।
वारदात का खुलासा होने पर पुलिस भी दंग रह गई। क्राइम ब्रांच डीएलएफ की टीम ने दोनों आरोपियों को पकड़कर अदालत में पेश किया, जहां अदालत ने आरोपी दीपांशु उर्फ दीपू उर्फ बिट्टु को जेल में भेज दिया और नाबालिग लड़की को करनाल स्थित शेल्टर होम भेजने के निर्देश दिए।
11 जुलाई को उड़िया कॉलोनी डबुआ निवासी विशाल ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि रात को किसी ने मां सुधा (45) की हत्या कर दी है। डबुआ थाना पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। पुलिस आयुक्त ओपी सिंह ने इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए जांच क्राइम ब्रांच डीएलएफ को सौंपी थी। सीआईए प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित की। टीम ने इस ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा करते हुए एक नाबालिग लड़की सहित दो आरोपियों को पकड़ लिया।
पुलिस ने आरोपी दीपांशु को तीन अगस्त व मृतका की आरोपी नाबालिग बेटी को बुधवार को पकड़ा। पूछताछ के दौरान आरोपी दीपांशु ने बताया कि लड़की से उसका पिछले दो साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था। वे दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन सुधा रिश्ते के खिलाफ थी। इसी कारण दोनों ने मिलकर सुधा को मारने की साजिश रची। 10 जुलाई को दीपांशु नींद की गोलियां लेकर आया और प्रेमिका को दे दी।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि लड़की ने शिकंजी में नींद की गोली मिलाकर मां को दे दी। रात लगभग साढ़े 12 बजे आरोपी दीपांशु से वीडियो कॉल की। आरोपी दीपांशु ने पहले तकिये से सुधा का मुंह दबाने के लिए प्रेमिका से बोला और फिर चुन्नी से गला दबाने के लिए कहा। दीपांशु के कहे अनुसार पहले तकिये से और फिर चुन्नी से गला दबाकर लड़की ने मां सुधा की हत्या कर दी।
लड़की के पिता की आरोपी लड़के के गांव में दूर की रिश्तेदारी थी। जहां से इन दोनों के बीच संबंध स्थापित होते चले गए। इसमें दीपांशु उर्फ दीपू उर्फ बिट्टू बुलंदशहर के थानाक्षेत्र जहांगीरपुर के गांव परौली का निवासी है। दोनों से दो मोबाइल व 2200 रुपये बरामद किए गए हैं।
किसी करीबी के होने का अंदेशा हुआ था
पुलिस आयुक्त ओपी सिंह व पुलिस उपायुक्त (अपराध) जयबीर सिंह के दिशा निर्देश पर एसीपी अनिल कुमार ने अपराध शाखा डीएलएफ में टीम का गठन किया। इसमें निरीक्षक अनिल कुमार, उप निरीक्षक ब्रहम प्रकाश, सहायक उप निरीक्षक राजबीर सिंह, सिपाही अनिल कुमार, अजमेर, नकुल, प्रीतम व सुरेंद्र शामिल थे। टीम ने क्राइम सीन को देखा। इसमें किसी करीबी के होने का अंदेशा हुआ। पुलिस जांच में पूरा मामला सामने आ गया।
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