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    खेतों की बत्ती गुल का खतरा

  • October 10, 2021

    • कोयले की कमी के चलते मप्र में भी घट चुका है उत्पादन
    • देश भर में बिजली संकट गहराने की संभावना

    भोपाल। कोयले की कमी के चलते देश व्यारी बिजली संकट गहराने की संभावना है। मप्र में भी कोयले की कमी के चलते ताप विद्युत उत्पादन इकाइयां पूरी क्षमता के साथ काम पूरा नहीं कर रही हैं। ऐसे में संभावना है कि रबी सीजन के सिंचाई के दौरान खेतों की बत्ती गुल हो सकती है। इससे निपटने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) बेहद गंभीर है। बिजली संकट की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि भविष्य में कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए सौर ऊर्जा पर फोकस किया जाए।



    प्रदेश में मानसून की विदाई हो चुकी है। अब किसान रबी सीजन की फसलों के लिए जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। सिंचाई भी शुरू हो गई है। अगले कुछ दिनों के भीतर सिंचाई के लिए बिजली की मांग बढऩे लगेगी। ऐसे में राज्य में बिजली संकट के हालात बन सकते हैं। सर्दी एवं रबी सीजन के चलते अगले कुछ महीनों में बिजली की मांग 16 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती है। खंडवा स्थित श्रीसिंगाजी प्लांट के पास सिर्फ 2520 मेगावॉट मतलब सिर्फ 2 दिन का ही स्टॉक बाकी है। वहीं, अमरकंटक प्लांट के पास 210 मेगावॉट, मतलब 7 दिन का स्टॉक, सारणी प्लांट के पास 1330 मेगावॉट, मतलब 5 दिन का स्टॉक और संजय गांधी प्लांट के पास 1340 मेगावॉट, 7 दिन का स्टॉक ही बाकी बचा है। इस कारण प्रदेश में बड़ा बिजली संकट गहरा सकता है। खास बात यह है कि ये सभी ताप विद्युत इकाइयां पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रही हैं। यदि पूरी क्षमता के साथ काम करें तो कोयले का स्टॉक दो दिन का ही है।

    सौर प्लांट के लिए बनेगी पॉलिसी
    उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोयले पर निर्भरता को कम करने के लिए सौर ऊर्जा प्लांटों की स्थापना जरूरी है। सौर ऊर्जा प्लांट लगाने को प्रोत्साहन देने के लिए पॉलिसी बनाई जाएगी। हालांकि सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। कई जिलों में सौर ऊर्जा प्लांट के लिए कई जिलों में निजी कंपनियों के साथ करार किए हैं।

    किसानों को हर हाल में दे 10 घंटे बिजली
    मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को सिंचाई के लिए कम से कम 10 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए प्रत्येक स्तर पर व्यवस्था सुनिश्चित करें। यह बैठक रबी फसल के लिए बिजली आपूर्ति के संबंध में बुलाई थी, लेकिन कोयले की कमी से थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई।

    कोयले की कमी के चलते बिजली संकट
    खंडवा स्थित सिंगाजी प्लांट में महज दो दिन का कोयला बचा है। यहां बिजली बनाने के लिए रोज 22 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है, जबकि अभी प्लांट में 52 हजार मीट्रिक टन कोयला मौजूद है। सिंगाजी में रोज 6-7 रैक कोयले की जरूरत है। प्रदेश में 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की डिमांड है। इसे देखते हुए सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 1, 2 और 3 नंबर की यूनिट से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। कोयले की सप्लाई थम जाएगी तो यहां बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा। इससे बिजली संकट की स्थिति बन जाएगी।

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