धर्मशाला (Hospice)। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Tibetan spiritual leader Dalai Lama) ने चीन (China) को झटका देते हुए 11वें पंचेन लामा के बाद अमेरिका (US) में पैदा हुए एक मंगोलियाई (Mongolian) को बौद्ध धर्म में तीसरे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गुरु (spiritual master) के पुनर्जन्म के रूप में नामित किया है। दलाई लामा का ये कदम चीन को चिढ़ाने वाला है और माना जा रहा है कि उन्होंने अपने इस कदम से भारत-चीन विवाद में मंगोलिया को भी खींच लिया है। धर्मशाला के मैकलोड़गंज में पिछले दिनों एक समारोह के दौरान आठ साल के मंगोलियन बच्चे को दलाई लामा ने बौद्ध धर्म का तीसरा सबसे बड़ा गुरु नामित किया है।
मंगोलियाई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ये बच्चा, जुड़वां बच्चों में से एक है, जिसका नाम अगुइदाई और अचिल्टाई अल्तानार है, जो अलतनार चिंचुलुन और मोनखनासन नर्मंदख के बेटे हैं। बच्चे के पिता अलतनार चिंचुलुन अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक हैं।
उधर मंगोलिया में बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु के पुनर्जन्म के रूप में आठ साल के बच्चे को स्वीकार करने के कदम से चीन नाराज हो सकता है जिसने पहले ही तय किया था कि वह केवल उन बौद्ध गुरूओं को मान्यता देगा जिन्हें सरकार द्वारा अनुमोदित विशेष नियुक्तियों ने चुना है। चीन की कोशिश है कि दलाई लामा की जगह पर भी किसी चीनी बच्चे को अगला दलाई लामा बनाया जाएगा। लिहाजा मंगोलियाई बच्चे को तीसरा बड़ा गुरु बनाने से चीन भड़क सकता है। वहीं अगर तिब्बती समुदाय की बात करें तो वह सिर्फ धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा घोषित किए जाने वाले धर्मगुरु को ही मान्यता देंगे। फिर वह चाहे उनके (दलाई लामा) पुर्नजन्म की घोषणा हो या फिर अन्य धर्मगुरुओं की।
11वें पंचेन लामा की तरह मंगोलियाई बच्चे पर भी रहेगी चीन की नजर
धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा आठ वर्षीय मंगोलियाई बच्चे को बौद्ध धर्म का तीसरा सबसे बड़ा गुरु नामित करना उस पर व उसके परिवार पर भारी पड़ सकता है। चीन ने जिस तरह से 11वें पंचेन लामा गेदुन चोयकी नीमा को महज छह वर्ष की आयु में वर्ष 1995 से जेल में कैद कर रखा है, उसी तरह इस बच्चे पर भी चीन की नजर रहेगी। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि कहीं चीन पंचेन लामा की तरह इस मंगोलियाई बच्चे को भी कैद न कर ले। एजेंसी/हिस
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