नई दिल्ली। आर्थिक र्मोचे (economic front) पर सरकार को झटका (Shock government) देने वाली खबर है। देश के चालू खाते का घाटा (कैड) (Country’s current account deficit (CAD)) वित्त वर्ष 2021-22 (financial year 2021-22) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 फीसदी (1.2% of Gross Domestic Product (GDP)) रहा, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 0.9 फीसदी अधिशेष की स्थिति थी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बुधवार को यह जानकारी दी।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक मुख्य रूप से व्यापार घाटा बढ़ने की वजह से कैड बढ़ा है। आंकड़ों के अनुसार चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2021-22 की मार्च तिमाही में 13.4 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.5 फीसदी रहा, जो इससे पूर्व दिसंबर तिमाही में 22.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.6 फीसदी था।
भुगतान संतुलन आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का आयात 618.6 अरब डॉलर रहा, जबकि एक साल पहले आयात 398.5 अरब डॉलर था। इसकी वजह से व्यापार घाटा बढ़ा है। देश का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 189.5 अरब डॉलर हो गया, जो इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में 102.2 अरब डॉलर था। इसके कारण चालू खाते का घाटा बढ़ा है।
उल्लेखनीय है कि चालू खाते का घाटा तब होता है, जब किसी विशेष अवधि में आयातित वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य और अन्य भुगतान तथा निर्यात की गई वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा अन्य प्राप्ति की तुलना में ज्यादा होता है। (एजेंसी, हि.स.)
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