उज्जैन। महाकाल मंदिर के बाहर और आसपास के मकान हटाए जा रहे हैं उसमें कई दुकानदार थे जो कि पिछले कई सालों से रोजगार चला रहे थे। इस तोडफ़ोड़ के बाद वे बेरोजगार हो गए हैं और प्रशासन ने भी ध्यान नहीं दिया। विकास के साथ यह भी देखना चाहिए कि आम जनता और मेहनत करने वाले लोग इसी देश के नागरिक हैं तथा उनके साथ अन्याय न हो, लेकिन उज्जैन में उल्टा हुआ तथा दर्जनों परिवारों की कोई सुनवाई नहीं हुई। मंदिर के सामने के इस बड़े हिस्से में सैकड़ों लोगों के महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों के कारण परिवारों का पालन पोषण होता था लेकिन मंदिर विस्तार योजना के तहत इनके मकान एवं दुकानों को गाइडलाइन के हिसाब से मुआवजा देकर ध्वस्त कर दी गईं।
लोगों का कहना है कि इतनी कम मुआवजा राशि में अन्यत्र स्थानों पर मकान लेना संभव नहीं है और दूसरा हमारे सामने रोजगार का बड़ा संकट पैदा हो चुका है। इस कार्रवाई के चलते क्षेत्र के सैकड़ों लोग रातोंरात बेरोजगार हो चुके हैं। शासन प्रशासन की ओर से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है जिन्होंने सामान हटा लिया उनका भी मकान और दुकान तोड़ दिए गए। और जो सामान नहीं हटा पाए उनका सामान सहित घरौंदा तोड़ दिया गया। ऐसे में स्थानीय निवासियों का कहना है कि महाकालेश्वर मंदिर परिसर का विस्तार बिना हमारे मकान तोड़े हो चुका था, बावजूद इसके प्रशासन हमारे मकान तोड़कर सैकड़ों परिवारों को बेघर और बेरोजगार कर चुका है और अब यहां गार्डन बनाना चाहता है। ऐसे में हमारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह सवाल है कि यह किस प्रकार का विकास है जिसमें सैकड़ों परिवारों का विनाश और रोजी रोटी का संकट पैदा हो रहा है। रहवासियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन हमारे साथ अन्याय कर रहा है और क्षेत्रवासियों के मकान वैध होने के बाद भी बाजार मूल्य पर नहीं बल्कि गाइड लाइन के रेट से मुआवजा दे रहा है जिसके चलते इतनी कम राशि में दूसरे स्थान पर घर खरीदना मुश्किल हो गया है जबकि महाकाल क्षेत्र के अवैध मकानों को तोडऩे पर महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा उन्हें 7 करोड़ से अधिक का मुआवजा दिया गया।
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