भोपाल। प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस का सर्वस्व दांव पर तो रहेगा ही साथ ही ग्वालियर-चंबल अंचल की 16 विधानसभा सीटों पर कई नेताओं की अग्रिपरीक्षा होगी। वहीं भाजपा के तीन नेताओं नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा की साख दांव पर रहेगी। खासकर मुरैना जिले की पांचों विधानसभाओं के उपचुनाव में भाजपा के इन तीन बड़े नेताओं की साख की परीक्षा होगी। इनमें से दो नेता नरेंद्र सिंह तोमर और वीडी शर्मा तो मुरैना से ही हैं। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर से हैं। यदि उपचुनाव में भाजपा को झटका लगा तो तीनों नेताओं की पार्टी संगठन में खासी किरकिरी होगी। हालांकि कार्यकर्ताओं और आम लोगों पर पकड़ बनाने के लिए कोरोना काल में रैली या भ्रमण नहीं कर सकते हैं, इसलिए दो नेता तो वर्चुअल रैलियों का सहारा ले रहे हैं। साथ ही नए व पुराने प्रोजेक्टों को शुरू करके किसी भी तरह उप चुनाव में जीत हांसिल करना चाहते हैं।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पोरसा के ओरेठी से हैं। वर्तमान में जिले के सांसद हैं और केंद्र सरकार में मंत्री भी। हालांकि 2013 के चुनाव में वे ग्वालियर से सांसद थे और मंत्री थे। श्री तोमर का यूं तो प्रभाव पूरे जिले की सभी सीटों पर माना जाता है, लेकिन अंबाह व दिमनी की सीटें खासतौर से उनके प्रभाव वाली मानी जाती है। लेकिन 2013 से लेकर 2018 तक दोनों ही सीटों पर भाजपा को करारी शिकस्त मिली है। हालांकि संसदीय चुनाव में श्री तोमर खुद तो जीत गए, लेकिन विस चुनाव में उनका सिक्का नहीं चला।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा भी मुरैना के सुर्जनपुर से हैं। चूंकि श्री शर्मा ब्राह्मण वर्ग से हैं और यह वर्ग जिले की सभी सीटों पर किसी न किसी तरह से निर्णायक स्थिति रखता है। चूंकि श्री शर्मा प्रदेशाध्यक्ष भी हैं, इसलिए सभी सीटों पर ब्राह्मणवर्ग के मतों को भाजपा के पक्ष में लाने की खास जिम्मेदारी है। खासतौर से जौरा विस में ब्राह्मण वर्ग के अधिक मतदाता है। इसके अलावा दिमनी, मुरैना व अंबाह सीट पर भी अच्छी संख्या है।
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया
श्री सिंधिया का मुरैना ही नहीं, पूरे प्रदेश में खासा प्रभाव है। खासतौर से चंबल व ग्वालियर में। वे अभी हाल ही में अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। खासबात यह है कि जिले की पांच में से तीन सीटों पर उनके ही समर्थक पूर्व विधायक भाजपा से उम्मीदवार होंगे। ऐसे में उप चुनाव में उनके प्रभाव का पता चलेगा।
इसलिए है मुश्किल
जिले की पांचों सीटों पर भाजपा की सालों से राजनीति करने वाले कार्यकर्ता व नेता मौजूद हैं, जो टिकट की दावेदारी करते आ रहे थे और कुछ तो विधायक भी रहे हैं। लेकिन अब सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को टिकट भाजपा से मिलने पर उनका राजनीतिक करियर ही दांव पर लग गया है। इसलिए उप चुनाव में ये नेता व कार्यकर्ता सामने से बेशक विरोध न करें, लेकिन भितरघात जरूर कर सकते हैं।
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