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    राजा- महाराजा सहित 4 नेताओं की साख दांव पर

  • May 22, 2023

    • ग्वालियर-चंबल अंचल के कद्दावर नेताओं का भविष्य भी तय करेगा विधानसभा चुनाव

    भोपाल। मध्य प्रदेश में यह साल चुनावी साल है। इस साल का विधानसभा चुनाव ग्वालियर चंबल अंचल के चार कद्दावर नेताओं का भविष्य भी तय करेगा। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर महाराजा वाला ग्लैमर बरकरार रखने की चुनौती होगी, तो वहीं कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर के लिए भी ग्वालियर चंबल अंचल में अपना रुतबा बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लिए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जमीन को मजबूत करने की चुनोती है, तो वहीं नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के सामने ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा साबित करने की चुनोती है। 2023 विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना ग्लैमर साबित करना बड़ी चुनोती होगा। 2018 में ग्वालियर चंबल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बदौलत कांग्रेस को 33 साल बाद बड़ी कामयाबी हासिल की थी। लेकिन 2019 में सिंधिया कांग्रेस के टिकिट पर गुना लोकसभा चुनाव में शिकस्त झेल चुके हैं। 2020 में सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा और कमलनाथ सरकार गिराकर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया। केंद्र की कांग्रेस सरकार में चार बार सांसद, 2 बार मंत्री रहे सिंधिया अब भाजपा सरकार में मंत्री बन चुके हैं। 2023 का विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बड़ी कामयाबी दिलाने की चुनौती वाला चुनाव रहेगा।

    नरेंद्र सिंह तोमर के लिए रुतबा बरकरार रखना चुनौती
    2023 का विधानसभा चुनाव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए भी खुद का रुतबा बरकरार रखने के लिए चुनौती वाला चुनाव होगा। तोमर दो बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री भी रहे। मई 2009 से तीन बार सांसद बनकर नरेंद्र सिंह तोमर लगातार दो बार से नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल अंचल में भाजपा के एकछत्र बड़े नेता थे, लेकिन सिंधिया के भाजपा में आने के बाद 2023 के विधानसभा चुनाव में उनके लिए अपना रुतबा कायम रखना बड़ी चुनौती होगा।


    दिग्विजय सिंह के लिए ग्वालियर चंबल में पकड़ मजबूत करने की चुनौती
    2023 का विधानसभा चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लिए भी भविष्य तय करने वाला चुनाव साबित होगा। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस को जोरदार कामयाबी दिलाने का दारोमदार दिग्विजय सिंह पर होगा। दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, दो बार सांसद और एक बार केंद्र में मंत्री रहे दिग्विजय सिंह के लिए ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस को ज्यादा सीटें दिलाना बड़ी चुनोती है। 2023 में ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया को पटखनी देने के लिए दिग्विजय सिंह अपना पूरा जोर लगाएंगे।

    नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के सामने बड़ी चुनौती
    लहार सीट पर लगातार सात बार विधानसभा चुनाव जीत चुके नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के लिए भी 2023 का विधानसभा चुनाव राजनीतिक दशा और दिशा तय करने वाले चुनाव साबित होगा। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद ग्वालियर चंबल अंचल में डॉक्टर गोविंद सिंह कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता हैं। ऐसे में 2023 में ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस को ज्यादा सीटें दिलाने का दबाव भी गोविंद सिंह पर रहेगा।

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