प्रतापपुर। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रतापपुर (Pratappur) से सपा विधायक विजमा यादव (SP MLA Vijma Yadav) एमपीएमएलए कोर्ट (MPMLA Court) ने डेढ़ साल की सजा सुनाई है। धारा 147, 341, 504, 353, 332 और 7 सीएलए एक्ट के तहत उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज (file a case) हुआ था। बृहस्पतिवार को न्यायलय ने उन्हें डेढ़ साल की सजा सुनाई। इससे विधायक विजमा यादव (MLA Vijma Yadav) की विधायकी जाने से बच गई।
आरोप है कि सपा विधायक विजमा यादव पर आरोप है कि उनके उकसाने पर ही भीड़ ने अनियंत्रित होकर पुलिस टीम पर गोली बम से हमला किया। इसमें पुलिसकर्मियों को गंभीर चोट लगी थी। घटना में विजमा यादव शामिल थीं। कहा गया कि 21 सितंबर 2000 को दोपहर ढाई बजे सहसों पुलिस चौकी के सामने श्याम बाबू के पुत्र आनंद जी उर्फ छोटू, सात वर्ष के बालक की दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर उसके शव को सड़क पर रखकर ईट, बल्ली लगाकर नाजायज तरीके से मजमा लगाकर बलवा किया। सभी लोग घातक असलहों से लैस थे, थाना प्रभारी, सराय इनायत कृपाशंकर दीक्षित तथा अन्य पुलिस अधिकारियों को जान से मारने की नीयत से ईट, पत्थर फेंके, जाम लगाकर सड़क पर अवरोध उत्पन्न किया जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हुई।
प्रतापपुर से सपा विधायक विजमा यादव कभी जिले के चर्चित माफिया और बाहुबली विधायक रहे जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की पत्नी हैं। जवाहर पंडित की विधायक रहते सिविल लाइन में हत्या कर दी गई थी, जिसमें करवरिया बंधुओं को उम्रकैद की सजा सुनवाई गई है। विजमा यादव तीसरी बार विधायक बनी हैं। वर्तमान में वह प्रतापपुर से विधायक हैं, उन्होंने अपना दल और भाजपा गठबंदन के प्रत्याशी और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. राकेशधर त्रिपाटी को शिकस्त दी थी। इसके पहले वह झूंसी से बार विधायक रह चुकी हैं।
जवाहर यादव उर्फ पंडित को 13 अगस्त 1996 को गोलियों से भून दिया गया था। इस मामले में जिला अदालत ने पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई पूर्व विधायक उदयभान व पूर्व एमएलसी सूरजभान और रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव समाजवादी पार्टी से विधायक हैं। हत्यारोपी करवरिया बंधु फिलहाल पेरोल पर बाहर हैं।
विधायक विजमा के पति जवाहर यादव उर्फ पंडित को बेहद सनसनीखेज तरीके से मौत के घाट उतार दिया गया था। जिले की यह पहली वारदात थी, जिसमें एके-47 का इस्तेमाल हुआ था और गोलियों की तड़तड़ाहट से सिविल लाइंस थर्रा उठा था। 23 साल बाद इस मामले में चार नवंबर 2019 को करवरिया बंधुओं को सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद से वह नैनी जेल में निरुद्ध हैं।
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