उज्जैन/नागदा। जिले के नागदा (Nagda) में तीन स्थानों पर करोड़ों की लागत से प्रस्तावित प्रवेशद्वार प्रोजेक्ट (Gateway project) को ग्रहण लग गया। इंगारियां रोड़ पर निर्माणाधीन प्रवेशद्वार को अतिरिक्त अपर एवं सत्र न्यायाधीश अभिषेक सक्सेना (Judge Abhishek Saxena) ने अवैघ करार दिया। यह प्रवेशद्वार लाखों की लागत से बन रहा था। अदालत ने अपने निर्णय में शहर की बुनियादी सुविधाओं को दरकिनार कर इस प्रवेशद्वार योजना पर खर्च करने पर नाराजगी भी जाहिर की है। अदालत ने माना की शहर में सडक़, यातायात, डिवाइंडर आदि पर कार्य करने की आवश्यकता है, फिर इस प्रकार के प्रोजेक्ट औचित्यहीन है। मजेदार बात यह हैकि प्रवेशद्वार निर्माण के लिए अनुविभागीय अधिकारी द्वारा दी गई अनुमति पर भी तल्क टिप्पणियां लिखी है। न्यायालय ने यह महत्वपूर्ण निर्णय सामजिक कार्यकर्ता अभय चौपड़ा निवासी नागदा की एक पुनरीक्षण कार्यवाही पर दिया है।
यह है मामला
दरअसल, नपा नागदा ने लगभग 2 करोड़ की लागत से शहर के तीन स्थान महिदपुर रोड, खाचरौड रोड और इंगोरिया रोड पर प्रवेशद्वार लगाने का प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें से इंगोरिया रोड पर प्रोजेक्ट पर कार्य भी शुरू हो गया। सामाजिक कार्यकर्ता अभय चौपड़ा ने इस प्रोजेक्ट पर जनहित का मसला बनाकर अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष धारा 133 में प्रकरण दायर किया था। अनुविभागीय अधिकारी ने नपा के पक्ष में निर्णय सुनाकर प्रवेशद्वार की अनुमति दी थी। यह निर्णय 10 दिसम्बर 2020 को दिया था। जिसके खिलाफ अभय चौपड़ा ने पुनरीक्षण अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष पेश किया था। इस न्यायालय ने हाल में अनुविभागीय अधिकारी के निर्णय को प्रत्याकृत अर्थात निरस्त किया है।
शहरहित में लिखी ये बातें
– अदालत में अपने निर्णय में जहां प्रवेश द्धार प्रोजेक्ट को ओचित्हीन तो करार दिया साथ ही जनहित पर भी ध्यान आकर्षित किया है। स्पष्ट लिखा कि जनता के धन का खर्च जनहितैषी कार्य पर खर्च किया जाना चाहिए। जन के धन को लोकामुखी कार्य में खर्च करने की आवश्यकता है।
– न्यायालय के निर्णय के मुताबिक वर्तमान में नागदा शहर में यातायात के दवाब को दष्टिगत रखते हुए सडक़ों की चौडा़ई कम है। मुख्य बाजार की सडक़ों के मध्य डिवाइडर निर्मित करने की आवश्यकता है।
– शहर में नालियों के निर्माण की आवश्यकता है तथा पूर्व की नालियों को ढकना आवश्यक है।
– शहर की सफाई व्यवस्था पर जोर देना आवश्यक है।
– इन बुनियादी जनहितैषी आवश्यकताओं की बजाय प्रवेश द्धार पर 76 लाख की राशि खर्च करना तर्क संगत प्रतीत नहीं होता है।
– सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के आलोक में भी अनुमति विधि संगत नहीं है।
अनुविभागीय अधिकारी के आदेश पर टिप्पणी
प्रवेशद्वार पर 76 लाख रूपये की बड़ी धनराशि खर्च करना तर्क संगत प्रतीत नहीं होता है। अनुविभागीय अधिकारी के आदेश में ओचित्यता का अभाव है। संपूर्ण विवेचना से स्पष्ट हैकि आदेश में शुद्धता, वैधता और ओचित्यता का भी अभाव है। ऐसी स्थिति में आदेश अपास्त किए जाने योज्य है। प्रवेश द्धार की अनुमति निरस्त की जाती है।
क्या बोले चौपड़ा
अभय चौपड़ा के अनुसार न्यायालय के आए निर्णय से जनता के धन की बर्बादी पर अंकुश लगेगा। जनता के धन का उपयोग जनहितैषी कार्य पर किया जाना चाहिए। अदालत ने मेरे उठाए गए प्रत्येक मुद़दों के पक्ष में निर्णय दिया है।