– डॉ. प्रभात ओझा
नाइजर में तख्ता पलट को हमारे यहां मीडिया के एक हिस्से ने ‘एक मुस्लिम देश की घटना’ के तौर पर लिया है। सवाल है कि क्या इसे सिर्फ इतना भर मानकर हम शांत रह सकते हैं। इस घटना पर सबसे पहले चिंता जताने वालों में अमेरिका भी शामिल है। न्यूजीलैंड में मौजूद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने राष्ट्रपति बजौम की रिहाई की मांग की है। अमेरिका ने निर्वाचित राष्ट्रपति के साथ होने की प्रतिबद्धता दिखाई है। नाइजर में अमेरिका के दो ड्रोन बेस हैं। इन बेस से जुड़े उसके करीब 800 सैनिक भी वहां तैनात हैं। इन सैनिकों में कुछ स्पेशल फोर्स के हैं जो नाइजर सेना को ट्रेनिंग दे रहे हैं। फिर भी अमेरिकी चिंता का मात्र यही कारण नहीं हो सकता। इसे और अधिक गौर से देखना होगा कि नाइजर अति गरीब देश होने के बावजूद यूरेनियम भंडार का मालिक है।
नाइजर नाम अपनी ही संज्ञा वाली नदी के कारण ग्रहण किया गया है। नाइजर नदी की उत्पत्ति वहां के भाषाई रूप ‘तुआरेग एन’एगिरेन’ से हुई है, जिसका अर्थ है ‘बहता पानी’। क्या दुर्भाग्य है कि इस देश के पश्चिम में यह बहता पानी भी अधिकांश जगह पर पूरी तरह सूख गया है। देश का करीब 80 प्रतिशत क्षेत्र रेगिस्तान में बदल चुका है। परिणामस्वरूप इसकी अर्थव्यवस्था के आधार कृषि, पशुधन पर असर को समझा जा सकता है। नाइजर कच्चे माल का निर्यात भी करता है।
नाइजर पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और कई देशों का भारी ऋण बना रहता है। अपने धन के साथ यूरेनियम की चिंता भी अमेरिका के साथ ही अफ्रीकी यूनियन को परेशान कर सकता है। ध्यान रहे कि अफ्रीकी देशों में ही नाईजीरिया भी है। हमें नाइजर और नाईजीरिया के फर्क को समझना पड़ेगा। नाईजीरिया में तो नाइजर नाम से एक प्रांत भी है। हम नाइजर की बात करें। नाइजर की सीमाएं नाईजीरिया के साथ छह अन्य देशों देशों, माली, अल्जीरिया, लीबिया, चाड, बेनिन और बुर्किना फासो से मिलती हैं। तो अफ्रीकी यूनियन और पश्चिम अफ्रीकी राज्य के आर्थिक समुदाय आयोग यानी ECOWAS ने भी अमेरिका की तरह इस पर तत्काल प्रतिक्रिया दी है। इस संगठन के अध्यक्ष और नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला टीनूबू के मुताबिक, संगठन नाइजर की सरकार को हटाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा। बोला टीनूबू इसी महीने ECOWAS के अध्यक्ष चुने गये हैं।
नाइजर न्यूज एजेंसी के मुताबिक राष्ट्रपति बजौम को विद्रोही ताकतों ने महल में कैद कर लिया है। तख्ता पलट करने वालों के नेता कर्नल-मेजर अमादौ अब्द्रमाने हैं और उनके साथ के नौ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने खुद को सुरक्षा राष्ट्रीय परिषद कहा है। सूचना के मुताबिक, राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे कुलीन गार्ड ने भी विद्रोह कर दिया और बजौम को उनके आधिकारिक आवास से हिरासत में ले लिया। इसके पहले राष्ट्रपति ने अपने सुरक्षा गार्ड के विद्रोही प्रदर्शन में शामिल होने की जानकारी दी थी।
बहरहाल, नाइजर पर काबिज कर्नल-मेजर अमादौ अब्द्रमाने के आदेश से देश की सीमाएं सील कर दी गई हैं। वहां देश भर में कर्फ्यू लागू है। देश के सभी संस्थान फिलहाल प्रतिबंधों में हैं। देश से बाहर जाने और आने वालों पर भी प्रतिबंध है। कर्नल अब्द्रमाने की दलील है कि उन्हें ऐसा सुरक्षा में हो रही लगातार गिरावट, खराब सामाजिक और आर्थिक प्रबंधन के कारण करना पड़ा है। अभी इस घटना के पूरे वृतांत का इंतजार करना पड़ेगा। भारत की इस पर क्या प्रतिक्रिया है, इस टिप्पणी तक सामने नहीं आया है, शायद कुछ ही घंटों में आ जाए।
हम आतंकवाद का पुरजोर विरोध करते हैं। फिलहाल नाइजर के दक्षिण-पश्चिम में और दूसरा दक्षिण-पूर्व में जिहादी संगठन भी सक्रिय रहे हैं। लोकतंत्र समर्थक के रूप में भी हमारी दुनियाभर में पहचान है। फिर भी राजनय कई कारणों से तय होते हैं, हम पूरी स्थिति का आकलन जरूर करेंगे।
(लेखक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के मीडिया सेंटर में एसोसिएट एडिटर हैं।)
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