- एक शिवलिंग में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का फल-360 डिग्री पर घूम जाता है
- महाकाल मंदिर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है रामेश्वर शिवलिंग- स्कंद पुराण में भी उल्लेख
उज्जैन। माता हरसिद्धि मंदिर के पीछे विराजित रामेश्वर महादेव मंदिर देश का एक मात्र ऐसा शिवलिंग हैं जो 360 डिग्री पर घूमता भी है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भगवान राम, लक्ष्मण और सीताजी ने की थी। इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से 12 शिवलिंगों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।
22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर उद्घाटन के महत्व को ध्यान रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने भी श्रीराम पथ गमन कार्यक्रम के तहत वनवास के समय भगवान श्रीराम जिन स्थानों पर गए थे उन्हें संवारने एवं उन्हें धार्मिक क्षेत्र घोषित कर विकास कार्य करने की घोषणा की है। भगवान राम वनवास के समय उज्जैन भी आए थे। श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण के साथ रामघाट पर पिता दशरथ का तर्पण किया था। इसके बाद वह महाकाल दर्शन कर चिंतामन गणेश मंदिर गए थे एवं वहाँ भी दर्शन कर मूर्तियों की स्थापना की थी जो कि पुराणों में उल्लेखित है लेकिन पूर्व उल्लेखित एक मंदिर और भी है जिसमें देश के अद्भुत शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान राम ने अपने हाथों से की थी। भगवान राम द्वारा स्थापित इस मंदिर का नाम भी रामेश्वरम शिवलिंग है। यह शिवलिंग देश का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो 360 डिग्री पर घूम जाता है। अधिक वजनी होने के बाद भी चारों ओर इसे आसानी से घुमाया जा सकता है। इस शिवलिंग का महत्व भी है कि चार दिशा में रोक कर इस शिवलिंग के दर्शन करने से देश के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शनों का फल प्राप्त होता है। यह शिवलिंग महाकाल मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित रामेश्वर मंदिर में है। मंदिर के पुजारी के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम जब अपने वनवास के दौरान रामघाट पर उनके पिता दशरथ जी का तर्पण करने आए थे। तब उस दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जी ने घूमते हुए इस शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसे आज रामेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इस शिवलिंग का शंकु आकार का है। मंदिर के पंडितों द्वारा मंत्रों के उच्चारण से इस शिवलिंग को 360 डिग्री तक घुमाया जाता है। इस घूमते शिवलिंग को देखने और पूजन अर्चन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचते हैं। जब इस शिवलिंग को घुमाते हैं तो ये उन सभी ज्योतिर्लिंगों का रूप ले लेता हैं। इसकी महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि ये महाकाल वन में स्थित है।