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    देश की सबसे महंगी सब्‍जी Boda की कहा होती है पैदावार, पढ़े यह खबर

  • June 17, 2021
    जगदलपुर। देश की सबसे महंगी सब्जियों में शुमार छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar of Chhattisgarh) का बोड़ा (boda) पंहुचने लगा है, इसके जायके के लोग दीवाने है, लोगों की इसी दीवानगी (craze)  के चलते यह सब्जी बस्तर में एक हजार से डेढ़ हजार रुपये तक में बिकती है। चिकन और मटन से भी महंगी यह सब्जी मानसून के शुरुआती दिनों में बारिश और उमस का मौसम बोड़ा के उगने के लिए अनुकूल होता है। साल वृक्षों (sal trees)  के नीचे उगने वाली अनोखी सब्जी साल के जंगल से ही निकलती है। जून और जुलाई के महीने में बोड़ा की सबसे ज्यादा उपलब्धता होती है।

    बस्तर के ग्रामीणों के लिए यह तेंदूपत्ता और महुआ के बाद आमदनी का मुख्य स्त्रोत है। बारिश के मौसम की शुरुआत के साथ बोड़ा के बाजार में आने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्राकृतिक रूप से एक निश्चित अवधि के लिए ही इसका उगना और इसकी स्वादिष्टता ने इसे विशेष बना दिया है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के साथ-साथ अन्य जिलों के रहवासी और पड़ोसी राज्य ओडिशा, तेलंगाना से भी बड़ी संख्या में लोग इसे खरीदने के लिए यहां पंहुचते हैं। इस वर्ष बोड़ा की अच्छी आवक है, शहर के मुख्य बाजार के साथ-साथ हर छोटे बड़े बाजार में बोढ़ा बड़ी मात्रा में मिल रही है।प्राप्त जानकारी के अनुसार मशरूम की 12 प्रजातियों में से एक बोड़ा की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यह अन्य मशरूम की भांति जमीन के बाहर नहीं, भीतर तैयार होता है। साल बोड़ा में फाइबर,सेलेनियम, प्रोटीन, पोटेशियम, विटामिन डी और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीजके होने की जानकारी मिली है। इनकी मौजूदगी की वजह से इसे शुगर, हाई बीपी, बैक्टीरियल इनफेक्शन, कुपोषण और पेट रोग दूर करने में सक्षम पाया गया है। ताजा परिस्थितियों में, इसमें इम्यूनिटी बूस्ट करने के तत्वों की वजह सेइसे बेहद अहम माना जा रहा है।पांच राज्यों में मिलने वाले इस मशरूम का वैज्ञानिक नाम लाइपन पर्डन है। उत्तराखंड, झारखंड और उड़ीसा में इसे रुगड़ा के नाम से जाना जाता है, तो छत्तीसगढ़ में साल पुटु के नाम से पहचान मिली हुई है। बस्तर अंचल में बोड़ा के रूप में जाना जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद प्रारंभिक अनुसंधान के बाद इसकी व्यावसायिक खेती की तकनीक विकसित कर रहा है, ताकि ग्रामीण क्षेत्र को आजीविका का नया साधन मिल सके। वैज्ञानिको को मिल रही सफलता से भविष्य में इसकी खेती की जा सकेगी साथ ही चार माह तक इसका भंडारण भी किया जा सकेगा।

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    28 जून से महाकालेश्वर मन्दिर में दर्शन प्रारम्भ होंगे

    Thu Jun 17 , 2021
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