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यहां बनेगा देश का सबसे बड़ा रेल-रोड ब्रिज, केंद्र ने दी मंजूरी, हर साल होगी 8 करोड़ के डीजल की बचत

October 16, 2024

नई दिल्ली: देश की आस्था नगरी बनारस (Benares) में देश का सबसे बड़ा रेल-रोड ब्रिज (country’s largest rail-road bridge) बनने जा रहा है. कैबिनेट ने परियोजना की मंजूरी दे दी है. प्रोजेक्ट का डीपीआर (DPR) 2 साल में बनकर तैयार हो जाएगा. ये रेल-रोड ब्रिज बनारस (Rail-Road Bridge Banaras) में गंगा नदी के दो तटों को एक साथ जोड़ेगा. इस रेल-रोड ब्रिज में रेलवे के 4 ट्रैक होंगे और उसके ऊपर 6 लेन का हाईवे बनाया जाएगा. कैबिनेट मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि ये ब्रिज उत्तर प्रदेश के दो जिलो वाराणसी-पं.दीन दयाल उपाध्याय को आपस में कनेक्ट करेगा.

ये नया ब्रिज पहले से मौजूद मालवीय ब्रिज के बगल में ही बनाया जा रहा है. मालवीय ब्रिज देश के सबसे पुराने 137 पुराना है. नया ब्रिज पुराने मालवीय ब्रिज को रिप्लेस करेगा. कैबिनेट मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को रेल मंत्रालय की रोड-रेल ब्रिज के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 2,642 करोड़ रुपए बताई जा रही है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से भीड़भाड़ को कम होगी. इस ब्रिज में दो फ्लोर होंगे. पहले फ्लोर पर चार रेलवे ट्रैक होंगे. जिन पर वंदे भारत ट्रेन से लेकर लॉजिस्टिक ट्रेन तक होकर गुजरेगी. वहीं दूसरी ओर सेकंड फ्लोर पर 6 लेन की सड़क बनाई जाएगी. रोड-कम-ट्रेन ब्रिज पर 24 मिलियन टन अतिरिक्त कार्गो आवाजाही कर सकेगा.


केंद्रीय मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. इस ब्रिज के कंस्ट्रक्शन के दौरान लगभग 10 लाख मानव दिवस का डायरेक्ट जॉब जेनरेट होंगी. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के 2 जिलों को कवर करने वाली इस परियोजना से भारतीय रेलवे का मौजूदा नेटवर्क लगभग 30 किलोमीटर बढ़ जाएगा. इस ब्रिज से पॉल्यूशन को कम करने में भी मदद मिलेगी और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी कम होगा. जानकारी के अनुसार इस ब्रिज की वजह से CO2 उत्सर्जन (149 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा, जो 6 करोड़ पेड़ों को लगाने के बराबर है.

गंगा नदी पर बनने वाले इस ब्रिज से रास्ता आसान और बेहतर हो जाएगा. जिसकी वजह से डीजल की भी काफी बचत हो सकेगी. सरकार के अनुसार इस ब्रिज से हर साल 8 करोड़ डीजल सेव होने का अनुमान लगाया गया है. इसका मतलब है कि इस ब्रिज से लोगों को 638 करोड़ रुपए सेव करने में मदद मिलेगी. जो अपने आप में बड़ी बात मानी जा रही है. केंद्रीय मिनिस्ट्री के अनुसार इसका डिजाइन और कंस्ट्रक्शन काफी मुश्किल है. ऐसे में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनने में 2 साल का समय लग सकता है.

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