– पहली समुद्री यात्रा में युद्धपोत विक्रांत के सिस्टम पैरामीटर संतोषजनक साबित हुए
नई दिल्ली। देश का पहला स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ (Country’s first indigenous aircraft carrier ‘Vikrant’) अपनी पहली समुद्री यात्रा (first voyage) पूरी करके रविवार को कोच्चि बंदरगाह पर लौट आया। इसके बाद भी जहाज के सभी उपकरणों और प्रणालियों को जांच के लिए अभी परीक्षण के कई दौर से गुजरना होगा। कोचीन शिपयार्ड में निर्मित यह युद्धपोत सभी तरह के अंतिम समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय देश को समर्पित किया जायेगा।
भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत (आईएसी) विक्रांत को अंतिम परीक्षणों के लिए 04 अगस्त को कोच्चि बंदरगाह से समुद्र में उतारा गया था। पहली समुद्री यात्रा के दौरान पतवार, मुख्य प्रणोदन, बिजली उत्पादन और वितरण (पीजीडी) और सहायक उपकरण सहित जहाज के प्रदर्शन का परीक्षण किया गया। परीक्षण की समीक्षा दक्षिणी नौसेना कमान के कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एके चावला ने की। उनके अनुसार अभी तक के परीक्षण में स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत विक्रांत के सिस्टम पैरामीटर संतोषजनक साबित हुए हैं। कोरोना महामारी और प्रोटोकॉल के कारण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद जहाज का पहला सफल ट्रायल एक दशक से अधिक समय से किये जा रहे समर्पित प्रयासों का प्रमाण है।
कोचीन शिपयार्ड में निर्मित युद्धपोत आईएसी को सभी तरह के अंतिम समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में देश को समर्पित किया जाना है। भारतीय नौसेना को सौंपने से पहले जहाज को सभी उपकरणों और प्रणालियों को साबित करने के लिए समुद्री परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरना होगा। आईएसी की डिलीवरी के साथ भारत एक विमान वाहक को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता वाले राष्ट्रों के एक चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बल प्रदान करेगा। आईएसी की डिलीवरी हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति और भारतीय नौसेना को भी मजबूत करेगी।
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) आईएनएस विक्रांत का निर्माण 28 फरवरी, 2009 से कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में निर्माण शुरू किया गया था। दो साल में निर्माण पूरा होने के बाद विक्रांत को 12 अगस्त, 2013 को लॉन्च किया गया था। पूरी तरह से स्वदेशी इस जहाज ने अगस्त, 2020 में हार्बर ट्रायल पूरा किया था जिसके बाद सितम्बर, 2020 में अत्याधुनिक आईएनएस विक्रांत को परीक्षणों के लिए समंदर में उतारा गया था। दिसम्बर में सीएसएल की तरफ से किए बेसिन ट्रायल में विमान वाहक पोत पूरी तरह खरा उतरा था। अंतिम परीक्षण के लिए पोत को इस साल के पहले छह महीनों में समुद्र में उतारा जाना था, लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण इस परीक्षण को टाल दिया गया था। (एजेंसी, हि.स.)
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