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    कोयले की भारी किल्लत का सामना कर रहा है देश! बिजली कटौती का खतरा बरकरार

  • May 28, 2022

    नई दिल्ली: बिजली की अधिक डिमांड के कारण सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही के दौरान भारत को कोयले की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कोयले के भंडार में कमी और उसके चलते बिजली की कटौती की खबरें हाल में सुर्खियों में रहीं थीं. भारत को उम्मीद है कि मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष में कोयले की मांग 784.6 मिलियन टन होगी, जो पहले के अनुमान से 3.3 फीसदी अधिक है. रॉयटर्स ने पावर मिनिस्ट्री के प्रजेंटेशन को देखा है, जिसमें बिजली संकट को दर्शाया गया है.

    CNBC-TV18 ने रिपोर्ट दी है कि भारत में सितंबर तिमाही में स्थानीय कोयले की सप्लाई डिमांड से 42.5 मिलियन टन कम रहने की उम्मीद है हो जाएगी, जो बिजली की डिमांड में अधिक वृद्धि और कुछ खदानों से कम उत्पादन के कारण पहले के अनुमान से 15 फीसदी अधिक है. यह गंभीर पूर्वानुमान भारत में कोयले की कमी को ऐसे समय दर्शा रहा है, जबकि बिजली की सालाना मांग कम से कम 38 वर्षों में सबसे तेज दर से बढ़ रही है. साथ ही, रूस-यूक्रेन संकट के कारण सप्लाई में कमी आने से वैश्विक कोयले की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर कारोबार कर रही हैं.


    कोयला इंपोर्ट का दवाब बढ़ा
    भारत ने हाल के दिनों में कोयला इंपोर्ट बढ़ाने का दबाव बढ़ा दिया है. सरकार ने बिजली प्लांट को कोयले का इंपोर्ट नहीं करने पर घरेलू कोयले की सप्लाई में कटौती की चेतावनी दी है. हालांकि, पावर मिनिस्ट्री के प्रजेंटेशन से पता चलता है कि अधिकांश राज्यों को कोयले के इंपोर्ट के लिए कांट्रैक्ट देना बाकी है. अगर किसी ने कोयला इंपोर्ट नहीं किया, तो जुलाई पावर प्लांट में कोयले की कमी हो जाएगी.

    सिर्फ एक राज्य ने दिया ठे​का
    पावर मिनिस्ट्री के इंपोर्ट स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल के अंत तक केवल एक राज्य ने कोयले के इंपोर्ट का ठेका दिया था. भारत को 154.7 मिलियन टन की घरेलू कोयले की सप्लाई की उम्मीद है, जो सितंबर तिमाही में अनुमानित 197.3 मिलियन टन की अनुमानित आवश्यकता से 42.5 मिलियन टन कम है. इससे पहले सप्लाई में सिर्फ 37 मिलियन टन की कमी की उम्मीद थी.

    बिजलीघरों को यह छूट
    बिजलीघरों में बार-बार कोयले की कमी से निपटने के लिए पिछले दिनों में कुछ उपायों की घोषणा की गई है. पिछले महीने पावर मिनिस्ट्री ने निजी बिजली उत्पादकों को इस बात की इजाजत दे दी कि वे इस संकट से निपटने के लिए 1 साल के लिए कोयले की सप्लाई सुनिश्चित करने की बजाय, 3 साल के लिए कोयले की सप्लाई की डील कर सकते हैं.

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